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देश में महंगाई और बेरोजगारी की स्थिति विस्फोटक हो रही है : अशोक गहलोत

गांवों में हो, चाहे वो रिलीजियस टूरिज्म होता है, जहाँ धार्मिक स्थान होते हैं, अगर वहां भी आप अच्छी सड़क बना दो, तो लोग जाने लग जाते हैं.टूरिस्ट दो तरह के होते हैं, एक डॉमेस्टिक होता है, एक फॉरेन टूरिस्ट होता है.

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Pradeep Singh
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अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री राजस्थान( Photo Credit : News Nation)

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अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. 3 मई 1951 को जोधपुर जिले में लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त की तथा अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त की. विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे गहलोत 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए. अशोक गहलोत तीन बार केन्‍द्रीय मंत्री बने और इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी तथा पी.वी.नरसिम्‍हा राव के मंत्रिमण्‍डल में केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया.

सवाल- पर्यटन को किस तरह से खड़ा किया जाएगा, कोरोना काल में जिस तरह से पर्यटन को....

जवाब- देखिए टूरिज्म को कोरोना काल में बड़ा धक्का लगा है, व्यापारी वर्ग को भी लगा है, मजदूर को भी लगा है, सबको लगा है, पर पर्यटक जो बाहर से आते हैं, उनकी संख्या कम हो जाए, तो पर्यटन उद्योग को धक्का लगना स्वाभाविक है. इसलिए आपने देखा होगा कि पिछली बार भी मैंने बहुत बड़ा जंप दिया, पहली बार आजादी के बाद में 500 करोड़ रुपए रखे हम लोगों ने, पर कोरोना काल के कारण जिस ढंग से हम काम चाहते थे, उस ढंग से काम हो नहीं पाया.कई दुनिया के मुल्कों में तो उनकी इकोनॉमी जो है देश की, वो टूरिज्म उद्योग पर ही चलती है, तो आप समझ सकते हो कि टूरिज्म का क्या महत्व है.मैं तो 35 साल पहले दिल्ली में टूरिज्म-सिविल एविएशन में राज्य मंत्री था, प्रधानमंत्री के साथ में अटैच था, तबसे मेरी रुचि है कि पर्यटन का फैलाव हो, लोगों को सुविधाएं मिलें इन्फ्रास्ट्रक्चर की, अन्य सुविधाएं इस प्रकार से मिलें जिससे कि प्रमोट हों इस सेक्टर के लोग चाहे वो ट्रैवल-टूर-ऑपरेटर हों, होटलेयर्स हों, ये मेरी रुचि रही है.अभी भी हमने, मैंने कहा कि पिछली बार जो हमने बड़ा जंप दिया, अब हम चाहेंगे कि आने वाले वक्त में और ज्यादा मजबूत बने ये सेक्टर.राजस्थान की पहचान पूरी दुनिया में है टूरिज्म को लेकर, इसीलिए आज जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, उदयपुर या पूरे राजस्थान के यहां शेखावटी के अंदर भी, हर जिले की अपनी खासियत है राजस्थान के अंदर, हर जिले में कोई न कोई स्पॉट ऐसे हैं जो कि टूरिज्म को बूस्ट कर सकते हैं.तो अब धर्मेंद्र राठौड़ जी बने हैं अध्यक्ष, मंत्री हमारे विश्वेंद्र सिंह जी हैं उनकी बहुत रुचि है.तो सब मिलकर मैं उम्मीद करता हूं कि इस सेक्टर को हम लोग टॉप प्रायोरिटी पर लाएंगे.

सवाल- राजस्थान में गांवों में अभी भी टूरिज्म को लेकर काम करने की जरूरत है...

जवाब- गांवों में हो, चाहे वो रिलीजियस टूरिज्म होता है, जहाँ धार्मिक स्थान होते हैं, अगर वहां भी आप अच्छी सड़क बना दो, तो लोग जाने लग जाते हैं.टूरिस्ट दो तरह के होते हैं, एक डॉमेस्टिक होता है, एक फॉरेन टूरिस्ट होता है, डॉमेस्टिक टूरिज्म धार्मिक पर्यटन स्थलों पर जाना चाहता है, तो ये हमने पिछली बार जब सरकार हमारी थी, तब भी प्रयास किए थे कि जो धार्मिक स्थान हैं वहां पर अच्छी सड़कें बनें, अच्छी लाइटिंग की व्यवस्था हो, जिससे कि टूरिस्ट जा सकें वहां पर डॉमेस्टिक, वो ही  भावना अब भी है दिमाग के अंदर कि चाहे वो फॉरेस्ट से संबंधित हो, चाहे धार्मिक स्पॉट हो, चाहे कोई हैरिटेज प्रॉपर्टी हो, सब जगह कैसे टूरिज्म बढ़े ये सरकार का दायित्व भी है, प्रायोरिटी भी है क्योंकि इससे रोजगार बहुत बड़े रूप में बढ़ सकता है.आज सबसे बड़ी स्थिति जो देश के अंदर है, महंगाई और बेरोजगारी है, बेरोजगारी की स्थिति भी विस्फोटक हो रही है देश के अंदर, आपने देखा होगा कि अभी बिहार के अंदर ट्रेन जला दी, सालों बाद में ट्रेन जलाने की घटना हुई है, जगह-जगह राज्यों के अंदर हड़तालें हो रही हैं कोई पेपर लीक के नाम पर, कोई पेपर आउट के नाम पर, कभी कुछ हो रहा है, बिहार में, यूपी में, मध्यप्रदेश में, दिल्ली में, केंद्र सरकार के कई विभागों के अंदर जब भर्ती निकली, वहां पेपर आउट हो गए.तो इस प्रकार से जो ये माहौल क्यों बन रहा है? इसकी तह में जाने की आवश्यकता है कि कारण क्या है कि ये गैंग्स ऑपरेट करने लगी हैं पूरे मुल्क के अंदर, तो ये बहुत ही चिंताजनक स्थिति है.इसलिए इन्वेस्टमेंट आए, इंडस्ट्री का आए, व्यापार का आए, टूरिज्म का आए, ये सेक्टर हमें डेवलप करने ही पड़ेंगे, जिससे कि रोजगार, सबको तो नौकरी मिल नहीं सकती सरकार की, तो सरकार की नहीं मिल सकती तो उनको कहीं न कहीं रोजगार चाहिए, उन्हें इस लायक बनाएं, स्किल डेवलपमेंट के हमारे कोर्सेज चलते हैं, उनको डेवलप करें, उनके स्किल डेवलपमेंट में भाग लें वो लोग, ट्रेंड हों लोग, तो प्राइवेट सेक्टर में जा सकते हैं.तो ये तमाम कोशिशें साथ-साथ चलेंगी.

सवाल- आरटीडीसी के कर्मचारी 7वें वेतनमान की मांग बड़ लंबे समय से कर रहे हैं, तो क्या इस बार बजट में?

जवाब- तो फिर मुझे बजट लाने की जरूरत ही नहीं रहेगी, अगर मैं आपको बता दूं अभी तो फिर बजट काहे के लिए लाऊं!

सवाल- बजट को लेकर अपेक्षाएं हैं हर सेक्टर को?

जवाब- अगर आप लोगों के कोई सुझाव हों मीडिया के वर्ग के, पत्रकारों के, साहित्यकारों के, लेखकों के, आप दीजिए, मैं वैलकम करूंगा, अभी वक्त है क्योंकि अभी तो 23 को आएगा बजट, उसके पहले आप जब चाहे मुझे दे सकते हो, मुझे बहुत खुशी होगी, प्रयास करेंगे कि आपके सुझावों को सम्मिलित करें उसके अंदर. अभी आप इंतजार कीजिए, बजट का इंतजार कीजिए, सब जगह आप महसूस करेंगे कि जो भावना आपकी है, वही भावना मेरी है.

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