जिस होटल में चल रहा है कांग्रेस का चिंतन शिविर, अवैध है वह बिल्डिंग
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने शुक्रवार को एक बार फिर गहलोत सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए. किरोड़ी ने आरोप लगाया है कि गहलोत परिवार से होटल मालिक के आर्थिक संबंध हैं.
highlights
- भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा ने लगाए गंभीर आरोप
- होटल मालिक से गहलोत परिवार के आर्थिक संबंध
- भाजपा सरकार ने नहीं दी मंजूरी कांग्रेस सरकार हो गया निर्माण
जयपुर:
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने शुक्रवार को एक बार फिर गहलोत सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए. किरोड़ी ने आरोप लगाया है कि गहलोत परिवार से होटल मालिक के आर्थिक संबंध हैं. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और कांग्रेस अगर गरीब आदिवासियों की सच्ची सेवक है तो इस होटल में चिंतन शिविर का कार्यक्रम तुरन्त बन्द कर किसी और स्थान पर करना चाहिए. यह अवैध होटल आदिवासियों की जमीन हड़प कर बनाई है. उन्होंने पत्रकार वार्ता में बताया कि मुम्बई की एक कम्पनी ईंशान क्लब एण्ड होटल ने उदयपुर में अरावली ताज नाम की विशाल होटल का निर्माण किया है.
इसके मालिक राजीव आनन्द हैं. आनन्द 2012 से होटल बनाने की कोशिश कर रहे थे, किंतु जमीन पर आने-जाने का रास्ता नहीं था. इसलिए प्रोजेक्ट अटका हुआ था. 2014 से 2017 तक होटल निर्माण की फाइल लगाई, किन्तु रास्ता नहीं होने के कारण यूआईटी उदयपुर ने होटल बनाने को लेकर मना कर दिया. इसके बाद 2015 में संभागीय आयुक्त कोर्ट ने पुराने साविक नक्शे के आधार पर इस होटल के लिए 900 हेयर पगडंडी नुमा रास्ते की अनुमति दी थी. यह कानून संगत नहीं थी, क्योंकि यह रास्ता अमरजोत नदी का है, जो सिसारमा नदी में मिलती है. इसका पानी पिछोला झील में जाता है. इस प्रकार संभागीय आयुक्त कार्यालय उदयपुर ने होटल व्यवसाय को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से नदी में रास्ता देकर नियम विरुद्ध आदेश पारित किया था.
इस रास्ते की तहसीलदार गिर्वा ने 2015 में एक रिपोर्ट दी थी कि यह रास्ता पगडंडी नुमा है. नदी में पानी नहीं बहने की स्थिति में गांव वाले आने जाने के लिए इसका उपयोग करते हैं. 2017 में यूआईटी उदयपुर के सचिव रामनिवास मेहता ने भी इस होटल के भूमि रूपांतरण के लिए मना कर दिया था. बीच में नदी, वन विभाग और सरकारी भूमि होने के कारण होटल को रास्ता नहीं मिलने के कारण निर्माण की यूआईटी की ओर से स्वीकृति दिया जाना संभव ही नहीं था.
यह है नियम
उच्च न्यायालय जोधपुर की ओर से अब्दुल रहमान बनाम राज्य के प्रकरण में दिए गए निर्णय की पालना में जिस भू-भाग पर पानी बहता है, उस पर से पानी के बहाव को अवरुद्ध नहीं करना है. राजस्थान नगरीय क्षेत्र (यदि भूमि का गैर-कृषिक प्रयोजन के लिए) आयोग की अनुज्ञा और आवंटन नियम 2012 नियम... के उपनियम-12 "भूमि जल निकायों, या डीलों, जलाशयों जलमग्नता के अधीन आने वाली भूमि को सम्मिलित करते हुए बांध और तालाब या नदी या नाले या झील इत्यादि के बहाव क्षेत्र की भूमि के
कृषि भूमि से गैर कृषि प्रयोजनों के लिए उपयोग की अनुज्ञा एवं भूमि आवंटन का निर्बम्धन है.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने दिलाई अनुमति
2018 में सरकार बदलने के साथ ही 2019 में ईशान क्लब के होटल मालिक ने पुनः एक साधारण एप्लीकेशन लगाते हुए संभागीय आयुक्त कोर्ट के 2015 के आदेश का हवाला देते हुए रूपांतरण के लिए आवेदन किया. जब 2017 में यूआईटी सचिव ने भूमि रूपांतरण की स्वीकृति नहीं दी तो 2015 को संभागीय आयुक्त के एक आदेश की आड़ में सरकार ने स्वीकृति किस आधार पर दी समझ से बाहर है. होटल निर्माण की फाइल प्रक्रिया के तहत लगनी चाहिए थी. मुख्यमंत्री कार्यालय ने सारी प्रकियाओं को ताक में रखकर होटल निर्माण की अनुमति प्रदान करा दी, इसमें मुख्यमंत्री के ओएसडी की अहम भूमिका रही है. इससे स्पष्ट है कि इस होटल के गहलोत परिवार के आर्थिक सम्बन्ध है. यह रास्ता जो चौड़ा करके बनाया है, वह होटल के राजस्व रिकार्ड में अब भी दर्ज नहीं है. आज भी यह नदी है. उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी सारे कानूनों को ताक में रखकर सीएमओ के निर्देश के बाद यूआईटी सचिव उज्जवल राठौड़ ने 2019 में गैर कानूनी रूप से नदी मार्ग का होटल निर्माण के लिए भूमि का रूपांतरण कर दिया.
होटल का नक्शा वैध नहीं है फिर भी निर्माण
इस होटल से पीछे पड़ती हुई बिलानाम (सरकारी) भूमि पर होटल मालिक ने अतिक्रमण कर लिया. जबकि यहां गोलमाल गांव का बोजडा नाका नाई पर वन विभाग सालों से वृक्षारोपण कर रहा था. उन सारे पेड़ों को होटल मालिक ने काट दिया और जमीन को अपने कब्जे में लेकर होटल का विस्तार कर दिया. 250 करोड़ की होटल का नक्शा होटल मालिक ने गैर कानूनी रूप से सम्बन्धित ग्राम पंचायत से 2012 में पास करवाया. 2012 से 2014 तक कोई निर्माण नहीं कराए जाने के कारण ग्राम पंचायत की स्वीकृति का आदेश स्वतः ही निष्प्रभावी हो गया. वैसे अकेली ग्राम पंचायत इतनी बडी होटल के निर्माण की स्वीकृति के लिए अधिकृत नहीं थी. इसके लिए एक कमेटी निर्णय करती है. 2014 में यह क्षेत्र उदयपुर के पैराफेरी एरिया में आ गया. होटल का नक्शा वैध नहीं है फिर भी होटल का निर्माण करा दिया गया.
उदयपुर में कॉन्फ्रेंस से रोका तो जयपुर में की
किरोड़ी ने कहा कि मैं उदयपुर में कॉन्फ्रेंस करना चाहता था. लेकिन मुझ पत्रकार वार्ता नहीं करने दी. मुझे उदयपुर से गिरफ्तार कर दूसरी जगह छोड़ दिया.इसीलिए मुझे पत्रकार वार्ता जयपुर में करनी पड़ी.
2018 के बाद उदयपुर में बढ़े अपराध, 1172 केस
किरोड़ी ने कहा कि 2018 के बाद उदयपुर में अपराध बढ़े हैं. कुल 1172 केस हुए हैं. इनमें हत्या, लूट, रेप, डकैती आदि शामिल हैं. 2018, 2019 और 20 में 862 केस आए हैं, इनमें से 515 में पुलिस ने चालान पेश किया है. एक भी मामले में एससी और एससी को देय राशि नहीं दी गई. किरोड़ी ने सरकार से एक्ट के अनुसार आर्थिक सहायता देने की मांग की है.
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