ताजमहल नहीं इस नाम से जाना जाता था ताजमहल, अजमेर में बोले जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानन्द महाराज
श्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती जी का कहना है कि ताजमहल का नाम सही नहीं है. इसे पहले तेजोमालय के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ ( शिवालय ) होता है. जिसे बर्बरता पूर्वक गिराकर किसी कालखंड में इसको ताजमहल बना दिया
नई दिल्ली:
श्री जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती जी ( Sri Jagadguru Shankaracharya Swami Shri Nischalananda Saraswati ) का कहना है कि ताजमहल का नाम सही नहीं है. इसे पहले तेजोमालय के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ ( शिवालय ) होता है. जिसे बर्बरता पूर्वक गिराकर किसी कालखंड में इसको ताजमहल बना दिया. उन्होंने कहा कि सनातन इतिहास में ताजमहल का उल्लेख नहीं है, बल्कि तेजोमालय के नाम से ही यह उल्लेखित है. इसलिए इसे तेजोमालय के नाम से ही जानना चाहिए.
जयपुर राजघराने के पास है दस्तावेज :
शंकराचार्य ने अपने बयान में यह भी कहा है कि ताजमहल से जुड़े जयपुर राजघराने के पास है इसलिए उन्हें भी देखना चाहिए और उनके बाद न्यायोचित कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत मे यह जरूरी बजी है कि जिन धार्मिक जगहों का सनातन धर्म मे उल्लेख है उन्हें उनका मौलिक स्वरूप प्रदान किया जाना चाहिए . साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि शांतिपूर्वक इन मुद्दों को सुलझाना चाहिए और सद्भाव रखते हुए कार्रवाई करनी चाहिए ताकि देश में कोई अशांति नही हो.
बुलडोजर पर भी बोले :
शंकराचार्य ने वर्तमान में चल रहे बुलडोजर प्रकरण मामले में बोला कि द्वेषता पूर्वक नही बल्कि विवेकपूर्ण कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इन मामलों में देशभक्त होना भी जरूरी है इसलिए उन्हें लगता है कि मठ मंदिर की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए ही कार्रवाई की जा रही है । उन्होंने बातों ही बातों में सीएम योगी को देशभक्त बताया.
तीन दिन के दौरे पर है शंकराचार्य
जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती तीन दिन के प्रवास पर अजमेर आये है जहां वे राष्ट्र चिंतन शिविर में हिस्सा लेंगे जिनमे धर्म सभा का भी आयोजन किया जाएगा. अजमेर आये शंकराचार्य का यहां भव्य स्वागत भी किया गया .
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