कोरोना से रिकवर हुए मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षणों की पहचान के लिए घर-घर किया जाएगा सर्वे
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी के प्रमुख लक्षण क्या है इनकी पहचान बहुत जरुरी है. इसलिए सर्वे करने वाली टीम बीमारी के लक्षणों व इसके बचाव की जानकारी भी देंगी.
highlights
- ब्लैक फंगस संक्रमण के मरीजों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी
- ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करते हुए संक्रमण को रोकने के लिए प्रयास प्रारंभ
राजस्थान:
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने कहा है कि ब्लैक फंगस संक्रमण के मरीजों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है. इसी के चलते प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करते हुए संक्रमण को रोकने के लिए प्रयास प्रारंभ कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए घर—घर जाकर कोरोना से रिकवर हुए लोगों का व्यापक स्तर पर सर्वे किया जाएगा ताकि लक्षण वाले मरीजों को तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. चिकित्सा मंत्री ने बताया कि बीते 35 दिनों में कोविड से रिकवर हुए ऐसे मरीज जिन्हें डायबिटिज, कैंसर है या अंग प्रत्यारोपण हुआ है और अस्पतालों में उपचार के दौरान उन्हें अधिक स्टेरॉयड दिया गया है ऐसे मरीजों की सूची आगामी तीन दिनों में तैयार की जाएगी. उन्होंने कहा कि जिन मरीजों को होम आइसोलेशन के दौरान भी स्टेरॉयड दिया गया है, वे भी इस सूची में शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामवार व शहरी क्षेत्रों में वार्डवार समन्वय स्थापित कर सर्वे कर यह सूची तैयार करेंगे.
घर-घर सर्वे से होगी पहचान
डॉ शर्मा ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इस सूची को घर—घर सर्वे कर रहे दलों को उपलब्ध करवाकर ऐसे मरीजों का फॉलोअप लिया जाएगा. साथ ही उन्हें नियमित ब्लड शुगर लेवल की जांच करवाने की सलाह भी दी जाएगी. ये टीमें सुनिश्चित करेंगी कि ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस का लक्षण है या नहीं. उन्होंने कहा कि लक्षण मिलने पर ऐसे मरीज को तुरंत सरकारी रैफरल वाहन से नजदीक के सीएचसी या पीएचसी भेजकर उनकी ब्लड शुगर लेवल की जांच करवाकर उसकी मेडिकल स्थिति के अनुसार उसे अधिकृत ब्लैक फंगस का इलाज करने वाले अस्पताल में भेजा जाएगा.
बीमारी के लक्षणों की पहचान जरुरी
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी के प्रमुख लक्षण क्या है इनकी पहचान बहुत जरुरी है. इसलिए सर्वे करने वाली टीम बीमारी के लक्षणों व इसके बचाव की जानकारी भी देंगी. उन्होंने कहा कि घर—घर सर्वे के दौरान बीमारी से सबंधित जानकारी वाले लीफलेट भी वितरित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आक्सीजन थैरेपी के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों से भी ये टीम मरीजों को अवगत कराएंगी. जिनमें थैरेपी के दौरान जीवाणु रहित पानी को नियमित रुप से बदला जाए, आक्सीजन सिलेंडर या कन्सन्ट्रेटर नैजल कैनुला या माउथ मास्क नियमित बदला जाए.
अधिकृत 20 अस्पतालों में ही किया जा सकेगा उपचार
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि ब्लैक फंगस के उपचार के लिए लिए प्रदेश कि 20 अस्पतालों को अधिकृत किया है. इनमें सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर, राजकीय रूकमणी देवी बेनी प्रसाद जयपुरिया अस्पताल, जयपुर, राजकीय मेडिकल कॉलेज, जोधपुर, एम्स, जोधपुर, जे.एल. एन. मेडिकल कॉलेज, अजमेर, आर. एन. टी. मेडिकल कॉलेज, उदयपुर, राजकीय मेडिकल कॉलेज, बीकानेर, राजकीय मेडिकल कॉलेज, कोटा, राजकीय मेडिकल कॉलेज, भीलवाडा, महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज, जयपुर, गीतांजली मेडिकल कॉलेज, उदयपुर, जैन ई. एन. टी. अस्पताल, जयपुर, नारायण हृदयालय अस्पताल, जयपुर, सी.के.एस. हॉस्पिटल, जयपुर, सोनी हॉस्पिटल, जयपुर, सिद्धम ई.एन. टी. हॉस्पिटल, जयपुर, देशबन्धू ई.एन.टी. हॉस्पिटल, जयपुर, विजय ई.एन.टी. हॉस्पिटल, अजमेर, श्रीराम हॉस्पिटल, जोधपुर और वैजयन्ती हॉस्पिटल, अलवर शामिल हैं. उन्होंने कहा कि मरीजों की मेडिकल स्थिति के अनुसार ब्लैक फंगस के उपचार के लिए इंजेक्शन अधिकृत अस्पतालों में डे-केयर सुविधा के दौरान भी लगाए जा सकेंगे.
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