Parliament Session 2024: राजस्थान के बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी के एकमात्र सांसद राजकुमार रोत ने एक अद्वितीय और अनोखे तरीके से संसद में प्रवेश करने की कोशिश की. वे ऊंट पर सवार होकर संसद भवन पहुंचे और इसी प्रकार से शपथ लेने की जिद पर अड़े थे. उनके इस कदम ने सभी का ध्यान आकर्षित किया और संसद के पहले दिन ही चर्चा का विषय बन गया. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया और संसद भवन में ऊंट ले जाने की अनुमति नहीं दी.
पुलिस और सांसद के बीच बहस
आपको बता दें कि राजकुमार रोत का ऊंट पर सवार होकर संसद जाने का निर्णय उनके सांस्कृतिक प्रतीक और आदिवासी पहचान को दर्शाने का एक प्रयास था. उन्होंने पारंपरिक वेषभूषा धारण कर ऊंट पर सवार होकर संसद भवन परिसर में प्रवेश करने की कोशिश की. इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोका और बताया कि संसद भवन में किसी भी जानवर को ले जाने की अनुमति नहीं है. इस बात पर रोत और पुलिस के बीच बहस भी हुई. पुलिस ने अपने नियमों और सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला देकर रोत को रोका, जबकि रोत अपने सांस्कृतिक अधिकारों की दुहाई दे रहे थे.
सांस्कृतिक प्रतीक और आदिवासी पहचान
वहीं आपको बता दें कि राजकुमार रोत ने इस अनोखे कदम के पीछे अपने सांस्कृतिक प्रतीकों और आदिवासी पहचान को प्रमुख कारण बताया. उन्होंने कहा कि ऊंट पर सवार होकर संसद जाना उनके लिए एक गर्व की बात होती, जिससे वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संसद में प्रस्तुत कर सकते थे. उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, ''अगर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बैलगाड़ी पर बैठकर संसद जा सकते थे, तो मुझे ऊंट पर बैठकर जाने से क्यों रोका गया?''
शिकायत दर्ज करने की बात
इसके साथ ही आपको बता दें कि रोत ने इस मामले को लेकर नाराजगी जताई और कहा कि वे इस विषय पर शिकायत दर्ज कराएंगे. उनका मानना है कि उन्हें ऊंट पर सवार होकर संसद जाने से रोकना उनके सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि वे इस बात को संसद में भी उठाएंगे और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे. रोत ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी ऊंट का उपयोग किया था, जिसके लिए चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया था. इसके बावजूद, उन्होंने अपने सांस्कृतिक प्रतीकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखी है.
अद्वितीयता और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
आपको बता दें कि राजकुमार रोत का यह कदम भारतीय राजनीति में अद्वितीय है और इसने सार्वजनिक चर्चा को जन्म दिया है. उनके इस अनोखे प्रयास ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और यह सवाल उठाया कि क्या सांस्कृतिक प्रतीकों का सम्मान संसद जैसे प्रतिष्ठित स्थान पर भी होना चाहिए. इस घटना ने न केवल रोत की सांस्कृतिक पहचान को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारतीय राजनीति में विविधता और सांस्कृतिक प्रतीकों का कितना महत्व है.
HIGHLIGHTS
- ऊंट पर बैठक संसद पहुंचे BAP सांसद
- दिल्ली पुलिस से हुई रास्ते में बकझक
- रोत बोले दर्ज कराऊंगा शिकायत
Source : News Nation Bureau