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राजस्थान भाजपा में घमासान : वसुंधरा राजे की धार्मिक यात्रा ने पकड़ा सियासी तूल

राजस्थान भाजपा में इन दिनों गुटबाजी चरम पर है. वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया गुटों में भाजपा संगठन साफ बटा हुआ नजर आ रहा है. राजस्थान बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच शक्ति प्रदर्शन की अनोखी जंग चल रही है.

Updated on: 01 Mar 2021, 05:37 PM

जयपुर :

राजस्थान भाजपा में इन दिनों गुटबाजी चरम पर है. वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया गुटों में भाजपा संगठन साफ बटा हुआ नजर आ रहा है. राजस्थान बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच शक्ति प्रदर्शन की अनोखी जंग चल रही है. दोनों नेता धार्मिक स्थलों की यात्रा की आड़ में शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. सतीश पूनिया पिछले कुछ दिनों से लाव-लश्कर के साथ धार्मिक स्थलों की यात्रा से शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आठ मार्च को अपना जन्मदिन ब्रज चौरीसी की परिक्रमा यानी गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा से मनाने की तैयारी कर रही है. 

इसके साथ ही भरतपुर संभाग में तमाम धार्मिक स्थलों की यात्रा पर राजे लाव लश्कर के साथ निकलेंगे इस बीच राजे की धार्मिक सियासी यात्रा को लेकर भाजपा की अंदरूनी सियासत को गरमा ही रही है. वही आखिर भरतपुर संभाग को चुनने की वजह क्या है इसको लेकर भी सियासी गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं. राजस्थान की सियासत में मौजूदा हालात में देखें तो भरतपुर संभाग में भाजपा संगठन सबसे कमजोर है वहीं कांग्रेस के लिहाज से पायलट सबसे अधिक मजबूत भरतपुर संभाग में ही है.

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की धार्मिक यात्राओं ने सियासी तूल पकड़ लिया है. धर्म के सहारे सियासत साधने के लग रहे आरोपों के बीच अब बीजेपी और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने वसुंधरा राजे की धार्मिक यात्रा को बेहद निजी यात्रा करार दिया, तो वहीं साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे खुद इस यात्रा में शामिल नहीं होंगे. दूसरी ओर सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला ने वसुंधरा की धार्मिक यात्रा पर यह कहते हुए निशाना साधा है कि धार्मिक यात्राएं तो मोक्ष के लिए निकाली जाती हैं, इसके लिए उन्होंने भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण भी दे डाला और कहा उन्होंने भी अपने गुजरने से 2 महीने पहले सन 84 में राजस्थान के माउंट आबू में एक गुप्त रुद्राभिषेक किया था.

राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे सिंधिया तीसरी बार फिर से अपना सियासी धरातल तलाशने में जुटी हैं और हर बार की तरह इस बार भी वसुंधरा राजे देव दर्शन यात्रा करने जा रही हैं. जिसकी शुरुआत उन्होंने विभिन्न मंदिरों में देव दर्शन से कर दी है. गोविंद देवजी मंदिर से इसकी शुरुआत भी हो गई है.  8 मार्च से वसुंधरा राजे ब्रज चौरासी क्षेत्र से  देव दर्शन की बड़ी यात्रा निकालने जा रही हैं. गोवर्धन परिक्रमा क्षेत्र में वसुंधरा राजे के पूर्व मुख्यमंत्री काल में काफी विकास हुआ था. ऐसे में वसुंधरा को उम्मीद है कि वहां की धार्मिक यात्रा से उन्हें जो अपार जन समर्थन मिलेगा, उससे जनाधार भी पार्टी आलाकमान और वरिष्ठ नेताओं को दिख जाएगा.  
वसुंधरा राजे की धार्मिक यात्रा को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ का कहना है कि देव दर्शन हमारी संस्कृति है,हम सब लोग देवताओं के दर्शन करते हैं। ये यात्रा वसुंधरा राजे का निजी कार्यक्रम है और किसी भी व्यक्ति को अपना निजी कार्यक्रम करने का पूरा हक है. 

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने मामले में चुटकी लेते हुए कहा 'यह बीजेपी का अंदरूनी मामला है ,लेकिन अब चाहे वसुंधरा राजे धार्मिक यात्रा करें या जेपी नड्डा आएं, कुछ नहीं होने वाला'.  बीजेपी राजस्थान में आपसी खींचतान के चलते ही सतीश पूनिया को भी बीजेपी आलाकमान ने तलब कर लिया है. राजस्थान में फिर से कांग्रेस की ही सरकार आएगी.

प्रदेश के काबीना मंत्री डॉक्टर बीडी कल्ला ने भी वसुंधरा राजे की धार्मिक यात्रा को लेकर कहा कि मुझे नहीं पता वसुंधरा राजे किस प्रयोजन से यह यात्रा कर रही हैं . वैसे धार्मिक यात्राएं आध्यात्मिक लाभ और मोक्ष के लिए होती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक यात्राएं तो गुप्त रखी जाती हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राजस्थान में ही माउंट आबू में सन 84 में उनके गुज़रने से 2 महीने पहले गुप्त रूप से रुद्राभिषेक किया था. बहुत कम लोगों को ही इसकी जानकारी होगी. वहीं वसुंधरा की देव दर्शन यात्रा को लेकर निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा-यह पहली बार है कि वसुंधरा चुनाव से पहले ही सक्रिय हो गई हैं. इससे पहले के 2 चुनाव में वह हार के बाद दिखती नहीं थीं. भाजपा हाईकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से इनकार किया है. उसके बाद अब वह अपनी साख बचाने यात्रा पर निकल रही हैं.

मिली जानकारी के अनुसार राजे अपने हजारों समर्थकों के साथ अपने जन्मदिन यानी 8 मार्च को गोर्वधन परिक्रमा करेंगी. इससे पहले राजे का भरतपुर के बद्री मंदिर से यात्रा शुरु करने का प्लॉन था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजे अपने जन्मदिन पर हैलीकाप्टर के जरिए गोर्वधन परिक्रमा में आने वाले भरतपुर के इलाके , पूंछरी का लौठा पहुंचेगी. यहां से अपने वाहन के जरिए गोर्वधन मंदिर जाएंगी. मंदिर से राजे का अपने हजारों समर्थकों के साथ गोवर्धन परिक्रमा का कार्यक्रम रहेगा. इस पदयात्रा के प्रचार—प्रसार का जिम्मा और तैयारियों में भाजपा के वहीं नेता जुटे हैं, जो अब तक राजे की भरतपुर में यात्रा बनाने पर काम कर रहे थे. इसमें पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी,युनूस खान आदि के नाम प्रमुख है. हालांकि वसुंधरा राजे की यात्राओं के जरिए अपने ​विरोधियों को चित करने की पुरानी रणनीति रही है. यात्रा के जरिए ही राजस्थान में राजे ने अपने राजनीतिक भविष्य की शुरुआत की थी. 2003 में परिवर्तन यात्रा के जरिए राजे ने न केवल गहलोत सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था बल्कि उनके नेतृत्व को चुनौती देने वाले भाजपा नेताओं को भी ज़मीन दिखा दी थी.