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राजस्थान में राज्यसभा चुनाव,भाजपा विधायक ने किया क्रॉस वोटिंग

राजस्थान में शुक्रवार को आये चुनाव नतीजों को लेकर राज्यसभा की 4 सीटों के नतीजे घोषित होने के बाद यह तय हो गया है कि राजस्थान में कांग्रेस ने एक बार फिर अपना वर्चस्व साबित किया है।

Updated on: 11 Jun 2022, 12:27 PM

नई दिल्ली:

राजस्थान में शुक्रवार को आये चुनाव नतीजों को लेकर राज्यसभा की 4 सीटों के नतीजे घोषित होने के बाद यह तय हो गया है कि राजस्थान में कांग्रेस ने एक बार फिर अपना वर्चस्व साबित किया है। मगर  कांग्रेस की जीत के साथ ही भाजपा विधायक की क्रॉस वोट की चर्चा जोरों पर है. 4 में से 3 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी विजई घोषित हुए जबकि एक सीट बीजेपी के घनश्याम तिवारी के पक्ष में गई सबसे बुरी स्थिति निर्दलीय प्रत्याशी डॉक्टर सुभाष चंद्रा की हुई जिन्हें अपेक्षा के अनुरूप के 33 वोट भी नहीं मिल पाए. 30 वोट ही मिले.  बल्कि बीजेपी के वोट में सेंध लगने से कांग्रेस को 1 वोट का फायदा हो गया अशोक गहलोत और उनके समर्थक शुरू से ही 126 मत होने का दावा कर रहे थे लेकिन इस चुनाव में उन्हें उससे भी ज्यादा वोट हासिल हुए. लेकिन एक वोट खारिज होने के कारण कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों को 126 मत मिले. राजस्थान से कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला 43 मत, मुकुल वासनिक 42 और प्रमोद तिवारी 41 मतों से  विजयी घोषित किए गए हैं। वहीं, घनश्याम तिवाड़ी को 43 और निर्दलीय सुभाष चंद्रा को 30 वोट मिले. अब राजस्थान में बीजेपी की 4 और कांग्रेस की राज्य सभा की 6 सीटें हो गई हैं.

राज्यसभा की चारों सीटों के उपचुनाव की मतदान प्रक्रिया सुबह 9 बजे शुरू हुई और दोपहर 2 बजे तक सभी 200 विधायक वोट डाल चुके थे। इसी बीच 3 वोटों को लेकर पूरी प्रक्रिया के दौरान विवाद होता रहा। पहला विवाद बीजेपी विधायक शोभारानी कुशवाह को लेकर हुआ, क्योंकि शोभारानी कुशवाह ने अपना वोट कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवारी को दे दिया । इसी दौरान बीजेपी के पोलिंग एजेंट राजेंद्र राठौड़ ने जब अपनी पार्टी की विधायक शोभारानी कुशवाह का मतपत्र देखा, तो बताया जाता है कि उन्होंने मतपत्र को अपने हाथ में ले लिया। इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने आपत्ति जताई और यह कहा कि चूंकि गोपनीयता भंग हुई है ,ऐसे में शोभा रानी का मत खारिज किया जाना चाहिए। दूसरा विवाद हुआ बीजेपी के ही डग से विधायक कैलाश मीणा के मत को लेकर । कैलाश मीणा ने जब अपना वोट डाला उसके बाद अपने पोलिंग एजेंट राजेंद्र राठौड़ को भी अपना मत पत्र दिखाया। लेकिन इस बीच कांग्रेस के पोलिंग एजेंट और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि कैलाश मीणा का वोट उन्होंने भी देखा है ऐसे में इसे खारिज किया जाए । इसी दौरान यह खबर भी आई कि बीजेपी की एक अन्य विधायक सिद्धि कुमारी को कहा गया था कि उन्हें अपना वोट निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को देना है , लेकिन उन्होंने घनश्याम तिवारी के पक्ष में मतदान कर दिया। कैलाश मीणा और शोभारानी कुशवाह के मुद्दों को लेकर मतदान खत्म होने के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच में काफी देर तक अंतर्विरोध चलता रहा लेकिन वीडियोग्राफी देखने के बाद में यह तय हुआ की ना तो शोभारानी का मत खारिज किया जाएगा और ना ही कैलाश मीणा का । इसके पश्चात 7 बजे मतगणना शुरू हुई और उसी के बाद ही नतीजे सामने आए। बीजेपी के बीजेपी के घनश्याम तिवारी , कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला , प्रमोद तिवारी और मुकुल वासनिक विजई घोषित किए गए। जीत के बाद निर्वाचन अधिकारी ने इन चारों प्रत्याशियों को उनके विजय सर्टिफिकेट दिए।सीएम अशोक गहलोत ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया,,सीएम ने कहा कम वोट होने के बावजूद बीजेपी ने निर्दलीय प्रत्याशी लड़ाया,,हॉर्स ट्रेडिंग की कोशिश की मगर सफ़लता नही मिली,,क्रॉस वोट करने वाली  भाजपा  विधायक शोभारानी कुशवाह को सीएम ने धन्यवाद दिया और कहा बीजेपी की नीतियों के खिलाफ शोभा रानी कुशवाह ने वोट दिया है,,कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों ने केंद्रीय नेतृत्व और सीएम को बधाई दी,,

सपोर्ट करने वाली भाजपा विधायक शोभा रानी कुशवाहा को पार्टी ने प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है और 7 दिन का नोटिस दिया है अगर सही जवाब नहीं मिला तो पार्टी से निष्कासित किया जा सकता है मगर इस बीच भाजपा ने गहलोत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया कहना है एमएलए शोभा रानी कुशवाहा ने मजबूरी में क्रॉस किया है, शोभा रानी कुशवाहा के पति बी एल कुशवाह अपनी बहन के प्रेमी की हत्या के आरोप में जेल में बंद है,, शोभा रानी कुशवाहा को जेल में बंद पति की मदद का आश्वासन दिया जिसके चलते शोभा रानी कुशवाहा ने विरोध किया लेकिन पार्टी इस कृत्य को अनुशासनहीनता मानते हुए जो भी पार्टी विधान में उसके तहत कार्रवाई की जाएगी,,,

राज्यसभा चुनाव के नतीजे से एक बात तो बिल्कुल साफ हो चुकी है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का निर्दलीय एवं अन्य पार्टी के विधायकों पर पूरा दबदबा कायम है । हालांकि राज्यसभा की नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही कुछ विधायकों ने गहलोत और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी की थी, लेकिन उदयपुर में ताज अरावली होटल में जब बाडाबंदी शुरू हुई तो उसके बाद अशोक गहलोत ने अपनी जादूगरी दिखानी शुरू की। 9 तारीख आते-आते तक कांग्रेस के खाते में दावे के मुताबिक पूरे 126 वोट स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। एकमात्र निर्दलीय विधायक बलजीत यादव भी 9 जून की आधी रात के करीब कांग्रेस की बड़ाबंदी वाले होटल लीला पैलेस में पहुंच गए और उन्होंने साफ तौर पर सरकार के प्रति अपना समर्थन जताया। इसके पहले अशोक गहलोत और उनके विश्वस्त लोगों ने बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में आए छह विधायकों को साधने का काम किया। इसके अलावा कुछ निर्दलीय विधायक भी ऐसे थे, जिन्होंने सरकार पर सवालिया निशान और काम नहीं होने की शिकायत की लेकिन अशोक गहलोत के ग्रुप ने अपना मैनेजमेंट हुनर दिखाते हुए सभी विधायकों को मतदान की पहली पूरी तरह से साथ लिया और एक बार फिर यह साबित हो गया कि अशोक गहलोत न केवल सरकार बचाने में बल्कि राज्यसभा के आलाकमान से भेजे गए तीनों प्रत्याशियों को जीत दिलाने में कामयाब रहे हैं। वहीं भाजपा की गुटबाजी एक बार फिर सामने आ गई ऐसे में आने वाले दिनों में पार्टी की गुटबाजी और बढ़ेगी और केंद्रीय नेतृत्व की गाज कुछ नेताओं पर गिर सकती है.