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rajasthan will now have board exams twice: (Social Media)
राजस्थान के छात्रों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है. अब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करेगा. शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने इसकी औपचारिक घोषणा की है. यह नई व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होगी और इसका मकसद छात्रों पर परीक्षा का दबाव घटाना और उन्हें सुधार का अवसर देना है. लेकिन शिक्षक संघ और विपक्ष ने सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल खड़े कर दिये है.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लिया गया है. नई नीति के अनुसार छात्रों को अधिक अवसर और लचीलापन देना जरूरी है, ताकि वे अपनी योग्यता का बेहतर प्रदर्शन कर सकें. अब हर छात्र को एक शैक्षणिक सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका मिलेगा. हम चाहते हैं कि बच्चों पर सालभर की पढ़ाई का एक साथ बोझ न पड़े. दो बार परीक्षा होगी - पहली मुख्य परीक्षा और दूसरी ‘द्वितीय अवसर परीक्षा’. इससे बच्चों को अपनी गलती सुधारने और अच्छे अंक लाने का एक और मौका मिलेगा.
सभी छात्रों का शामिल होना अनिवार्य रहेगा
दिलावर ने कहा कि पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में आयोजित होगी और उसके परिणाम आने के बाद मई-जून में दूसरी परीक्षा, जिसे ‘द्वितीय अवसर परीक्षा’ कहा जाएगा, ली जाएगी. दोनों परीक्षाएं पूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित होंगी और अध्ययन योजना में कोई बदलाव नहीं होगा. मंत्री ने स्पष्ट किया कि पहली बोर्ड परीक्षा में सभी छात्रों का शामिल होना अनिवार्य रहेगा. जो विद्यार्थी इस परीक्षा में उत्तीर्ण होंगे, उन्हें अधिकतम तीन विषयों में अपने अंक सुधारने का मौका मिलेगा. वहीं, जिन छात्रों को पूरक घोषित किया जाएगा, वे भी अधिकतम तीन विषयों में, पूरक विषय सहित, दूसरी परीक्षा दे सकेंगे.
अंतिम परिणाम में जोड़े जाएंगे
दिलावर ने यह भी कहा कि जिन छात्रों की पहली परीक्षा किसी वैध कारण से छूट जाती है, उन्हें भी दूसरी परीक्षा का अवसर दिया जाएगा, लेकिन इसके लिए उन्हें चिकित्सा प्रमाण पत्र या जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा. शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस नई व्यवस्था में शुल्क मुख्य परीक्षा के समान रहेगा और छात्रों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा. साथ ही, बोर्ड ‘बेस्ट ऑफ टू’ सिद्धांत लागू करेगा-यानी दोनों परीक्षाओं में से जिस परीक्षा में अधिक अंक होंगे, वही अंक अंतिम परिणाम में जोड़े जाएंगे. इससे छात्रों पर पहली परीक्षा में उच्च अंक लाने का दबाव कम होगा.
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