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राजस्थान सरकार ने स्कूलों में धारा 370 के निरस्तीकरण और सावरकर के जन्मदिन को मनाने का फैसला किया है. भजनलाल सरकार के इस फैसले से प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. मालूम हो कि, माध्यमिक विद्यालय शिक्षा विभाग द्वारा रविवार को प्रकाशित कैलेंडर में 28 मई को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर जयंती और 29 मई को महाराणा प्रताप जयंती मनाने का उल्लेख किया है. वहीं जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाकर अर्ध-स्वायत्त दर्जा छीनने को बतौर "स्वर्णमुकुट दिवस" के तौर पर मनाने का फैसला किया है. बता दें कि, इससे पहले विभाग ने 9 जुलाई को प्रकाशित प्राथमिक विद्यालय शिक्षा के वार्षिक कैलेंडर में राम मंदिर अभिषेक का उत्सव भी जोड़ा था.
वहीं इसपर कांग्रेस प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने पलटवार करते इसे हिंदुत्व प्रचार के अनुरूप स्कूली शिक्षा का सरासर राजनीतिकरण करार दिया. उन्होंने कहा कि, “हमारे छात्र क्या सीखेंगे? स्कूली पाठ्यपुस्तकों में आमतौर पर हमारे इतिहास में महान नेताओं की भूमिकाएं शामिल होती हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें सावरकर के बारे में पढ़ाना चाहती है जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के बजाय उनसे माफी मांगी थी.'' उन्होंने कहा कि, "शिक्षा मंत्री को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इस क्षेत्र का विकास कैसे किया जाए और इसलिए वह प्रणाली में कोई और मूल्य जोड़ने के बजाय लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं."
दूसरी ओर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता मुकेश पारीक ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि, “भाजपा सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि छात्र सावरकर और महाराणा प्रताप जैसे महान नेताओं के जीवन और भूमिकाओं के बारे में जानें.. उन्हें जगह मिलनी चाहिए क्योंकि वे छात्रों को प्रेरित करेंगे."
माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि कैलेंडर की योजना इस तरह बनाई गई थी कि, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र स्कूल में रुचि लें और शिक्षा के माध्यम से गतिविधियों में भाग लें. उन्होंने बताया कि, हर दूसरे और चौथे शनिवार को "नो बैग डे" सहित स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती मनाने जैसी अन्य गतिविधियां भी जोड़ी हैं.
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