logo-image

राजस्थानः स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले दूध पर सियासत, जानें पूरा मामला

अब मुख्य सचिव की ओर से इस स्कीम को बंद करने के लिए अंतिम मुहर भी लगा दी गई है. लिहाजा सरकार के स्कूल खोलने के फैसले के बाद अब जब पहली से आठवी तक के बच्चे स्कूल जाएंगे, तो उन्हें सिर्फ मिड- डे ही दिया जाएगा.

Updated on: 15 Dec 2020, 11:22 PM

नई दिल्ली:

राजस्थान में अब सरकारी स्कूलों में बच्चों के दूध को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब बच्चों को दूध वितरण नहीं हो सकेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कार्यकाल में शुरू की गई अन्नपूर्णा दूध योजना को वर्तमान गहलोत सरकार ने खत्म कर दिया है. ऐसे में कहा जा सकता है कि अब जब स्कूल खुलेंगे, तो 60 लाख बच्चों को सिर्फ मिड-डे मील ही दिया जाएगा. शिक्षा विभाग ने इसे लेकर पूर्व में ही प्रस्ताव आगे बढ़ा दिया था.

लेकिन अब मुख्य सचिव की ओर से इस स्कीम को बंद करने के लिए अंतिम मुहर भी लगा दी गई है. लिहाजा सरकार के स्कूल खोलने के फैसले के बाद अब जब पहली से आठवी तक के बच्चे स्कूल जाएंगे, तो उन्हें सिर्फ मिड- डे ही दिया जाएगा.

तत्कालीन बीजेपी सरकार ने 2 जुलाई 2018 को राजकीय विधालयों के कक्षा 1 से 8वीं तक के विधार्थियों के लिए मिड डे मील के तहत ' अन्नपूर्णा दूध योजना' की शुरुआत भी की थी. इसके तहत 1 से 5वीं कक्षा तक के बच्चों को 150 एमएल और 6 से 8वीं कक्षा तक के बच्चों को 200 एमएल दूध दिया जाना तय किया गया था. इस योजना में दुग्ध समितिययां को भी जोड़ा गया था

अब इसको लेकर गहलोत सरकार पर भाजपा हलावर हो रही है. भाजपा का आरोप है कि गहलोत सरकार भाजपा सरकार के समय शुरू हुई जनकल्याणकारी योजनाओं को बन्द करने पर तुली है.

वही कांग्रेस का दावा है कि गहलोत सरकार कोई भी कदम जनहित के खिलाफ नहीं उठा रही है. हालांकि कांग्रेस की गहलोत सरकार की ओर से इसे लेकर नई योजना प्रस्तावित की गई है, जिसमें बच्चों को फल और मिठाई दी जा सकती है. लेकिन इस मामले में अभी योजना का प्रारूप सामने नहीं आ पाया है. ऐसे में विद्यार्थियों की फिलहाल मिड डे मिल ही दिया जाना संभव हो पाएगा।