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प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)
राजस्थान के बारां में हॉस्टल वार्डन के अत्याचार से परेशान हो रही बारां शहर के आदिवासी सहरिया छात्रावास की छात्राएं देर रात हॉस्टल से भागकर शहर के मुख्य चौराहे पर धरना देने बैठ गईं. इसके बाद धरना स्थल पर पहुंची पुलिस ने आश्वासन के बाद उन्हें फिर से हॉस्टल पहुंचाया तो परेशान छात्राएं रोने लगीं. छात्राओं ने वार्डन द्धारा अत्याचार करने आदि का आरोप लगाया है.
हॉस्टल वार्डन का नाम संतोष हाड़ा है. जानकारी के अनुसाप 3 दिन पहले भी छात्राएं संतोष को हटाने की मांग लेकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंची थीं. जहां से तहसीलदार इन छात्राओं की समस्या सुनने हॉस्टल में आए थे. लेकिन तहसीलदार के जाते हॉस्टल वार्डन ने फिर से छात्राओं को तंग करना शुरू कर दिया. छात्राओं का कहना है कि पुलिस से शिकायत हॉस्टल वार्डन को इतनी अखरी कि हॉस्टल वार्डन ने छात्राओं को हॉस्टल में बंद कर दीया और उन्हें स्कूल भी नहीं जाने दिया. जैसे-तैसे कुछ छात्राएं पीछे के गेट से स्कूल को निकलीं.
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स्कूल निकली छात्राएं कलेक्टर के पास पहुंची लेकिन वहां की हॉस्टल वार्डन को हटाने की बात पर सहमति नहीं बनी तो छात्राएं शहर के मुख्य चैराहे, चार मूर्ति पर हॉस्टल वार्डन को हटाने की मांग को लेकर सड़क पर बैठ गईं. इस दौरान सड़क पर नारेबाजी करती रही छात्राओं के सड़क पर बैठने की सूचना पर पुलिस एसडीएम समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंचे. जैसे-तैसे छात्राओं को 1 घंटे की मशक्कत के बाद समझा-बुझाकर हॉस्टल पहुंचाया गया लेकिन छात्राओं का रोना नहीं रुका. छात्राएं हॉस्टल वार्डन के व्यवहार से तंग हो रोती बिलखती रही.
इन आरोपों पर हॉस्टल वार्डन संतोष हाड़ा का कहना है कि छात्राओं ने मेरी शिकायत की थी इस लिए उन्हें समझाने के लिए गेट पर ताला लगाया था. लडकियां मेंरी झुठी शिकायत कर रही हैं. अपनी सफाई में संतोष ने कहा कि उन्हें खाना आदि भी सही दिया जाता है. फिल्हाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.
Source : News State