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ब्लैक फंगस की दवाओं के लिए राजस्थान सरकार ने निकाला ग्लोबल टेंडर

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है. राज्य सरकार ने लाइपोजोमल एम्फोटेरेसिन बी के 2500 वाइल खरीदने के सीरम कंपनी को क्रयादेश दे दिए हैं.

Updated on: 17 May 2021, 05:14 PM

highlights

  • ब्लैक फंगस की दवाओं के लिए राजस्थान सरकार ने निकाला ग्लोबल टेंडर
  • ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है
  • प्रदेश में करीब 100 मरीज ब्लैक फंगस से प्रभावित हैं

जयपुर :

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है. राज्य सरकार ने लाइपोजोमल एम्फोटेरेसिन बी के 2500 वाइल खरीदने के सीरम कंपनी को क्रयादेश दे दिए हैं. सरकार देश की 8 बड़ी फार्मा कंपनियों से संपर्क कर रही है और दवा की खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर भी किया जा रहा है. चिकित्सा मंत्री ने कहा कि अन्य दवाओं की तरह केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस की दवा को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है और वही राज्यों को आपूर्ति कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश को भारत सरकार से केवल 700 वाइल ही प्राप्त हुई हैं.

ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बात कर राज्य को कम से कम 50 हजार वॉइल देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि जिस प्रदेश में मरीजों के अनुपात में दवाओं का वितरण करे ताकि इस गंभीर बीमारी से लोगों को बचाया जा सके. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना के बाद डायबिटीज के मरीज, ज्यादा समय तक आईसीयू में रहने, संक्रमण और स्टेरॉइड दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल और कमजोर इम्यून सिस्टम के चलते ब्लैक फंगस के शिकार हो जाते हैं.

उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज के ब्लड शुगर का स्तर नियमित जांच करते रहें. ज्यादा ब्लड शुगर होने पर इस रोग की आशंका बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि सरकारी व निजी अस्पतालों में कोविड के दौरान सीमित मात्रा में स्टेरॉइड देने के लिए निर्देश जारी किए जा रहे हैं. 

प्रदेश में करीब 100 मरीज ब्लैक फंगस से प्रभावित हैं

डॉ. शर्मा ने कहा कि प्रदेश में करीब 100 मरीज ब्लैक फंगस से प्रभावित हैं. उन्होंने बताया कि सवाईमानसिंह अस्पताल में भी बीमारी के उपचार के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है, जहां पूरे प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा सुझाए दवा के विकल्पों पर भी राज्य सरकार काम कर रही है. किसी विशेषज्ञों के अंतिम निर्णय पर वैकल्पिक दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.