राजस्थान सरकार के सामने गहराया आर्थिक संकट, दम तोड़ रही है स्कूल में बच्चों को दूध पिलाने की योजना

वसुंधरा राजे सरकार ने पिछले साल जुलाई में राजस्थान में सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए एक अच्छी पहल की थी जिसके तहत पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों को डेली दूध पिलाना था

वसुंधरा राजे सरकार ने पिछले साल जुलाई में राजस्थान में सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए एक अच्छी पहल की थी जिसके तहत पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों को डेली दूध पिलाना था

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Aditi Sharma
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राजस्थान सरकार के सामने गहराया आर्थिक संकट, दम तोड़ रही है स्कूल में बच्चों को दूध पिलाने की योजना

फाइल फोटो

राजस्थान सरकार के सामने गहराते जा रहे आर्थिक संकट का असर अब सरकारी योजनाओं पर भी साफ दिखने लगा है. अन्नपूर्णा दुग्ध योजना के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को दूध पिलाने की योजना खठाई में पड़ती नजर आ रही है. बीजेपी राज में शुरू की गई योजना कांग्रेस शासन में दम तोड़ रही है. करोड़ों रुपए बकाया होने के चलते स्कूलों में दूध की सप्लाई ठप होने लगी है. वहीं बीजेपी इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए बच्चों के साथ अन्याय करना बता रही है. सरकार की दलील है कि योजना की समीक्षा की जा रही है ना कि उसे बंद किया जा रहा है.

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वसुंधरा राजे सरकार ने पिछले साल जुलाई में राजस्थान में सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए एक अच्छी पहल की थी जिसके तहत पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों को डेली दूध पिलाना था. पांचवीं तक के बच्चों को 150 मिमी लीटर और 8 वीं क्लास के बच्चे को 200 मिमी दूध दिया जाना था. लेकिन सरकार बदलते ही योजना के साथ बच्चों की लगता है तकदीर बदल गई. सरकार बदलते ही अन्नपूर्णा दुग्ध योजना पूरी तरह से चरमरा गई है, क्योंकि शिक्षा विभाग को योजना के लिए बजट ही नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा गुरुजी अपने स्तर पर उधारी करते हुए दूध का बंदोबस्त कर रहे हैं.

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तमाम 33 जिलों के स्कूलों में करोड़ो रुपए दूध के बकाया चल रहे हैं. सैंकड़ों स्कूलों में तो दूध पिलाना ही बंद कर दिया गया है. दूध सप्लाई करने वाली डेयरियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं, लिहाजा कईं संस्था प्रधानों ने उच्च अफसरों को लिखकर जल्द बजट जारी करने या फिर स्कीम को बंद करने का मार्गदर्शन मांगा है. जानबूझकर राजनीती से प्रेरित बताते हुए स्कीम को कमजोर करने के आरोप लगा रही है. बीजेपी का कहना है कि सीएम और डिप्टी सीएम तो अपनी लड़ाई से बाहर नहीं निकल रहे जिसके चलते नौनिहालों के दूध पर कर्ज बढ गया है. वहीं शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा का कहना है कि योजना की समीक्षा की जा रही है ना कि इसे बंद किया जा रहा है.

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योजना निसंदेह देश के भविष्य बच्चों के लिए अच्छी है लेकिन महज पैसों के लिए योजना पर संकट के बादल छाना सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं है. ऐसे में विपक्ष आखिर क्यों नहीं योजना बंद करने औऱ राजनीति करने का आरोप लगाएगा.

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