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राजस्थान सरकार ने निकाय चुनाव से पहले की बड़ी घोषणा, पढ़ें पूरी Detail

इस फैसले को लेकर बीजेपी ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है.

Updated on: 19 Oct 2019, 08:53 AM

highlights

  • निकाय चुनाव से पहले राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला. 
  • तीन शहरों को बाटा दो नगर निगम में. 
  • अब इन शहरों में दो मेयर होंगे. 

जयपुर:

निकाय चुनाव (Local Body Elections) से पहले राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने बड़ी घोषणा की है। जयपुर (Jaipur), कोटा (Kota) और जोधपुर (Jodhpur) नगर निगम को दो भागों में बांट दिया है। तीनों शहरों में दो नगर निगम होगी। मतलब इन तीनों शहरों दो-दो महापौर होंगे। जयपुर में हेरिटेज निगम और ग्रेटर जयपुर नगर निगम होगा। इसकी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने घोषणा की। शांति धारीवाल ने बताया कि जयपुर में अब 250 वार्ड होंगे। 100 वार्ड तो हेरिटेज निगम में और 150 वार्ड ग्रेटर जयपुर नगर निगम में शामिल होंगे।

वहीं मंत्री शांति धारीवाल ने जोधपुर में भी दो नगर निगम की घोषणा की है। साथ ही मंत्री ने धारीवाल ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में नए सिरे से परिसीमन होने की बात कही है। ऐसे में इन शहरों में निकाय चुनाव नवंबर में नहीं होंगे। इन तीनों शहरों में चुनाव आगामी 6 महीने में करवाए जाएंगे। हालांकि शेष निकायों के चुनाव नवंबर में ही होंगे।

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धारीवाल ने कहा कि जयपुर, जोधपुर और कोटा में जनसंख्या 10 लाख से ज्यादा हो गई है। ऐसे में वार्ड बढ़ा होने से पार्षद अपने क्षेत्र में विकास के कार्य को बेहतर तरीके से नहीं करवा सकतें। उन्होंने कहा कि गत जून और अगस्त माह में तीनों शहरों में परिसीमन कर वार्ड बढ़ाये थे। सरकार ने उस नोटिफिकेशन को विसर्जित कर दिया है। अब जल्द ही नोटिफिकेशन जारी होगा.

हालाकि इस फैसले से सभी लोग खुश नहीं दिखे. दो मेयर के फैसले पर महापौर महेश विजय का रिएक्शन सरकार के फैसले से उपमुख्यमंत्री ही संतुष्ट नही 6 महीने चुनाव आगे बढ़ाना कांग्रेस का चुनाव से कतराना हैं।

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल द्वारा कोटा को भी 2 भागों में बांटे जाने और दो मेयर की घोषणा को लेकर कोटा नगर निगम के महापौर महेश विजय का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट ही संतुष्ट नही कहीं न कहीं 6 महीने चुनाव आगे बढ़ाना कांग्रेस का चुनाव से कतराना साबित हो रहा है।

महापौर ने कहा कि मेयर को थोपना युवा नेताओ की महत्वकांशाओ पर कुठाराघात जैसा है, कोटा नगर निगम में वैसे ही कर्मचारियों व अधिकारियों की कमी है ऐसे में दूसरी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ती किये बिना यह निर्णय सही नही है।