राजस्थान: गहलोत सरकार के इंग्लिश मीडियम स्कूलों में बच्चें तो हैं पर टीचर नहीं, पढ़ें पूरा मामला
सभी स्कूल बिना अध्यापकों के खुले और बंद हो गए. इन स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया भी अभी पूरी नहीं हुई है. शिक्षा मंत्री का कहना है कि जल्द ही सभी स्कूल में अध्यापक लगा दिए जाएंगे
नई दिल्ली:
राजस्थान में सरकारी स्कूल के ढांचे को सुधारने के लिए गहलोत सरकार ने एक कारगर कदम उठाया है. अंग्रेजी ज्ञान में प्राइवेट स्कूलों के बच्चों से सरकारी स्कूलों के बच्चे भी पीछे नहीं रहें, इसके लिए 150वीं गांधी जयंती पर हर जिले में इंग्लिश मीडियम का स्कूल खोला जा रहा है, मगर पहले सत्र में सिस्टम की लापरवाही सामने आ गई है. सभी स्कूल बिना अध्यापकों के खुले और बंद हो गए. दरअसल सत्र शुरू होने से पहले एडमिशन प्रोसेस और शिक्षक और स्टाफ की भर्ती का काम करना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
सिस्टम की इस लापरवाही का उदाहरण मानसरोवर में कावेरी पथ पर स्थित जयपुर जिले का एकमात्र सरकारी स्कूल है, जहां दो दिन से बच्चे तो आ रहे हैं लेकिन शिक्षक नहीं. यह तो बानगी भर है.
प्रदेश में शुरू हुए 33 सरकारी अंग्रेजी स्कूलों का यही हाल है. कहीं भी अंग्रेजी के शिक्षक नही हैं. शिक्षा विभाग की ओर से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर शुरू किए गए 33 अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के तीसरे दिन बुधवार को भी पढ़ाई नहीं हुई. सभी स्कूल बिना अध्यापकों के खुले और बंद हो गए. इन स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया भी अभी पूरी नहीं हुई है. शिक्षा मंत्री का कहना है कि जल्द ही सभी स्कूल में अध्यापक लगा दिए जाएंगे.
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वहीं जयपुर में मानसरोवर के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में 183 बच्चों का एडमिशन हो चुका है और दो सौ से अधिक प्रवेश के आवेदन पेडिंग है. ऐसे में राज्य सरकार की योजना की शुरुआत में ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं. अब विभाग ने मंगलवार को अलग-अलग आदेश जारी कर 613 शिक्षक-कर्मचारियों को डेपुटेशन पर लगाया है. इन स्कूलों में शिक्षक और कर्मचारियों को लगाने के लिए पिछले दिनों इंटरव्यू लिया गया था.
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विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार 183 वरिष्ठ अध्यापक, 159 तृतीय श्रेणी शिक्षक लेवल व, 63 तृतीय श्रेणी शिक्षक लेवल टू, 31 वरिष्ठ सहायक, 32, कनिष्ठ सहायक, 27 लाइब्रेरियन, 33 वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक, 31 कंप्यूटर शिक्षक, 29 प्रयोगशाला सहायक और 25 सहायक कर्मचारियों को लगाया गया है. कुछ जिलों में पर्याप्त शिक्षक और कर्मचारी विभाग को नहीं मिले हैं. इन स्कूलों मे प्रिंसिपल की नियुक्ति के आदेश पहले ही जारी हो चुके हैं. प्रदेश में पहली बार इस प्रकार के स्कूलों में इस सत्र में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं चलेंगी.
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