राजस्थान (Rajasthan) में सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी को बगावती तेवर दिखाने वाले सचिन पायलट के 30 से ज्यादा विधायकों के समर्थन के दावे के बाद अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार लुढ़कने की कगार पर पहुंच गई है. इस बीच कांग्रेस आलाकमान अपनी सरकार को बरकरार रखने के लिए विधायकों की संख्या जोड़ने-घटाने में जुटी है. अशोक गहलोत (ashok gehlot) ने बहुमत का सटीक अंदाजा लगाने के लिए कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई, जिससे साफ तौर पर स्पष्ट हो जाएगा कि कितने विधायक उनके साथ हैं.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके डिप्टी सचिन पायलट के गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई खुलकर सामने आ चुकी है. जानकार सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि सचिन पायलट ने गहलोत सरकार को अल्पमत में बताकर विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने की एक चुनौती दे दी है. ऐसे में विधायक दल की बैठक में तमाम विधायकों के आने का कांग्रेस को इंतजार रहेगा.
राजस्थान में सियासी घटनाक्रम के बीच सबकी नजरें जिन विधायकों पर रहने वाली हैं, उनमें- बागीदौरा से विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, दौसा से विधायक मुरारी लाल मीणा, सपोटरा से विधायक रमेश मीणा, मसूदा से विधायक राकेश पारीक, परबतसर से विधायक रामनिवास गावड़िया, राजाखेड़ा से विधायक रोहित बोहरा, डीग-कुम्हेर से विधायक विश्वेन्द्र सिंह, देवली-उनियारा से विधायक हरीश चन्द्र मीणा, बामनवास से विधायक इन्द्रा मीना, विराटनगर से विधायक इंद्रराज गुर्जर शामिल हैं.
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इसके अलावा बांदीकुई से विधायक गजराज खटाना, सवाई माधोपुर से विधायक दानिश अबरार, ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा, श्रीमाधोपुर से विधायक दीपेन्द्र सिंह, निवाई-पीपलू से विधायक प्रंशात बैरवा, झुंझुनूं से विधायक बृजेन्द्र सिंह ओला, चाकसू से विधायक वेद प्रकाश सोलंकी, डीडवाना से विधायक चेतन डूडी सहित कुछ ऐसे विधायकों पर भी नजरें रहेंगी, जो दोनों कैम्प में पकड़ रखते हैं. लगातार इंटेलिजेंस की भी इनके हर मूवमेंट पर नजर बनी हुई है.
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