हरियाणा-पंजाब से दिल्ली आया पराली का धुंआ राजस्थान की ओर बढ़ा, अशोक गहलोत ने केंद्र से मांगी मदद
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली की जहरीली हवा से काफी चिंतित हैं. उनका कहना है कि दिल्ली की ये जहरीली हवा अब राजस्थान की ओर आ रही है.
नई दिल्ली:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली की जहरीली हवा पर चिंता जाहिर की और कहा कि हरियाणा और पंजाब से दिल्ली आ रहा पराली का धुंआ राजस्थान की ओर बढ़ रहा है. गहलोत ने कहा, ''दिल्ली गैस चेंबर की तरह बन गई है इसे लेकर पूरा देश चिंतित है क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है. जहां भारत सरकार के तमाम दफ्तर हैं, देश-विदेश से लोग यहीं से आते-जाते हैं, दुनिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्राइम मिनिस्टर भी यहीं आते हैं. राजधानी का अपना महत्व होता है, यदि राजधानी ही गैस चैंबर बन जाए तो आप सोच सकते हैं कि फिर क्या होगा. पूरे देश को इसकी चिंता है. कल-परसों मैं भी दिल्ली में 2 दिन रहा, जहां मैंने भी महसूस किया कि वास्तव में दिल्ली के लोग वहां पर कैसा महसूस कर रहे हैं. जिस प्रकार से प्रदूषण फैल रहा है उससे लोग बीमार पड़ रहे हैं. आज भी आंकड़े आए कि 30% मरीजों की संख्या बढ़ गई है तो आप समझ सकते हैं कि यह कितनी चिंता की बात है.
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मैंने देखा कि वह प्रदूषण जयपुर की तरफ आ रहा है राजस्थान की तरफ आ रहे हैं. भरतपुर, अलवर, जयपुर आ रहा है हम सभी के लिए चिंता का विषय होना चाहिए. भारत सरकार से भी रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि आप सिर्फ दिल्ली सरकार के ऊपर नहीं छोड़े बल्कि दिल्ली सरकार ने रिक्वेस्ट की है भारत सरकार से, मिस्टर जावड़ेकर से, टॉप प्रायरिटी पर यह हल होना चाहिए. परमानेंट रूप से समस्या का समाधान हो सुप्रीम कोर्ट बार-बार चिंता व्यक्त कर चुका है लेकिन सालों से हमें देख रहे हैं कि यह बढ़ता ही जा रहा है प्रदूषण वहां पर सारी रेखाएं पार कर चुका है और कुछ दिन के लिए स्कूल बंद कर दिए कुछ दिन के लिए हमने फैक्ट्री बंद कर दी इस से काम नहीं चलने वाला है, परमानेंट समस्या का हल क्या है कि पराली जलाई जाती है पंजाब में, हरियाणा में, वह है या और कोई कारण है तमाम तरीके की रिसर्च हो करके इसका स्थाई समाधान कैसे हो, यह हमारी सोच है.
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दूसरा जो है, आपका टोल टैक्स लग रहा है इसे लेकर मीडिया में भी कुछ हमारे साथियों ने भी बीजेपी के जो लोग हैं वह हमारे साथी ही हैं जिस प्रकार से वह भ्रम पैदा कर रहे हैं उनको यह नहीं करना चाहिए. चुनाव जीतने के लिए वसुंधरा जी ने बगैर किसी को पूछे हुए सरकार में भी असेम्बली के अंदर उन्होंने घोषणा कर दी जहां-जहां टोल टैक्स लग रहा है प्राइवेट व्हीकल्स पर उसे समाप्त कर दिया गया है उनको अधिकार नहीं था क्योंकि सरकार के साथ में जो कॉन्ट्रैक्ट हुए, एग्रीमेंट हुए हैं कंपनियों के साथ और ठेकेदारों के साथ टोल वसूली को लेकर और क्या क्या शर्ते होंगी उसके आधार पर वह अपना काम कर रहे हैं अचानक ही आपने एक वर्ग को छूट दे दी जिसका नतीजा यह रहा कि वह लोग कोर्ट में जाने लग गए और कोर्ट के अंदर उनके पक्ष में माहौल बनने लग गया.
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तो अगर धीरे-धीरे यह जब कोर्ट में जाएंगे तो यह पूछेंगे कि आप बताइए बिना आपने पूछे हुए यह फैसला कर लिया और यह बात पब्लिक के सामने लाई जानी चाहिए उन शब्दों में यह एक शर्त भी है कि जो टोल वसूल करेंगे की उससे सड़क रिपेयर होगी उसका मेंटेनेंस होगा अपग्रेडेशन होगा सड़कों का सुदृढ़ीकरण होगा यह तमाम काम रुक गए हैं, तमाम सड़कें धीरे-धीरे उखड़ जाएंगी राजस्थान में तो ठीक भी नहीं हो पाएगी तो सोच-समझकर के सामने चुनाव चल रहे हैं नगर निकायों के उसके बावजूद यदि हमने यह फैसला किया है तो आप समझ सकते हैं कि इसकी कितनी बड़ी आवश्यकता थी और कितना जरूरी था और हमने किसी के ऊपर नया टैक्स नहीं लगाया है जो वसुंधरा जी का चुनाव जीतने के लिए एकतरफा फैसला था उसे हमने समाप्त किया है, और ये चुनाव जीते भी नहीं तो मेरा मानना है कि चुनाव हो या नहीं हो जनता बहुत समझदार है.
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जैसे पिछले चुनाव में हम लड़ रहे थे 13 के अंदर तो वसुंधरा जी ने कहा कि रेवड़ियां बांट रही हैं पेंशन के रूप में, दवाइयां जहर हैं ये कह दिया...जनता का मूड हमारे खिलाफ था इसलिए हम हार गए उनके कहने से नहीं हारे. लोग कहते हैं चुनाव चल रहे हैं उस पर इफेक्ट पड़ेगा, कोई इफेक्ट नहीं पड़ेगा अगर इफेक्ट पड़ेगा तो हमारे पक्ष में पड़ेगा. आम जनता चाहती है कि चुनाव जीतने के नाम पर फैसले नहीं हों, आम जनता चाहती है कि आप सही बात सही समय पर करें.
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चुनाव के बाद में फैसले करो उससे क्या फायदा, जब सड़कें टूट जाएंगी, कोई मेंटेनेंस करेगा ही नहीं और सरकार पर भार आ जाएगा बहुत बड़ा 500-1000 करोड़ का तो क्या होगा. तो हमने कोई नया फैसला नहीं किया है हमने इसे रिस्टोर किया है, आप सोच सकते हो कि खाली जो उनका टैक्स लगा हुआ था जो उन्होंने हटा दिया उसे वापस रिस्टोर किया है, हमने कोई नया टैक्स नहीं लगाया है और इसके लिए उनको चाहिए कि आपकी कैपिसिटी है. मैं इस बात को समझता हूँ कि बार-बार जो गाड़ी को रोकना पड़ता है उससे इरिटेशन होता है, उसके लिए सरकार सोचेगी कि हम भी उस तकनीकी की तरफ बढ़ें जिससे कि जब गाड़ियां आएं वो सीधी निकल जाएं ऑटोमैटिकली पैसे काट जाएं, ये एक अपग्रेडेशन की बात है इसे हम देखेंगे.''
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