लेकसिटी उदयपुर में रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ आदि महोत्सव का समापन, इस समापन समारोह में उडीसा , बंगाल, गुजरात महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने एक मंच पर आकर अपनी प्रतिभा दिखाई , जो वाकई अदभुत रही, वही इस महोत्सव में आदिवासी संस्कृति लोक परंपरा और संस्कृति के संरक्षण के साथ ग्रामीण पर्यटन बढ़ावे के लिए ऐसे आयोजनों की जिला कलेक्टर ने महती आवश्यकता बताई।
यह महोत्सव राजस्थान सरकार के सौजन्य से जिला प्रशासन, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान एवं पर्यटन विभाग के तत्वावधान में आयोजित किया गया , जिसका भव्य समापन उदयपुर के भारतीय लोक कला मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित हुआ। जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने नगाड़ा बजाकर समापन समारोह की शुरुआत की।
कलेक्टर ने स्थानीय कलाकारों सहित भारत देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों की प्रस्तुतियों को सराहा और कहा कि लोक परंपरा कला व संस्कृति के संरक्षण के लिए ऐसे आयोजनों की महती आवश्यकता है। वहीं लोक कला मंडल के निदेशक डॉ लाइक हुसैन के प्रयासों की सराहना की, और स्थानीय संस्कृति के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति का समन्वय स्थापित करना बड़े ही गौरव होने की बात कही । ऐसे आयोजनों से विश्व पटल पर पर्यटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले उदयपुर मैं पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, लोक कलाओं का सुदृढ़ीकरण होगा और लोक कलाकारों को आजीविका के साथ संबल व पहचान मिलेगी।
थिरकते कलोकारों ने किया, इस महोत्सव में देश के बाहर से आने वाले दल पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के कलाकारों के साथ राजस्थान के जनजाति क्षेत्रों जिसमें बाँरा, उदयपुर, बाँसवाड़ा, आबुरोड़, डुंगरपुर, सिरोही एवं कोटड़ा के 18 दलों ने भाग लिया जिनमें से 11 दल तो ऐसे थे जो पहली बार किसी कार्यक्रम मे मंच पर अपनी प्रस्तुति दे रहे थे।उदयपुर संभाग के जनजाति कलाकारों के साथ भारत के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने ढोल-मृदंग की थाप के साथ झांझर की झनकार और घुघरू की झनकार के साथ प्रस्तुतियॉँ दी। कलाकरों ने चांग, शौगी मुखावटे, नटुवा, सिंगारी, राठवा, घूमरा, सहरिया, गवरी, ढोल कुंडी सहित लोक नृत्यों से सभी को आकर्षित किया, टीएसी सदस्य लक्ष्मीनारायण पंड्या, विदेशी पर्यटक,सभी प्रशासनिक अधिकारी तथा जन प्रतिनिधि उपस्थित रहे ।
विश्व भर में पर्यटन सिटी के रूप में शुमार उदयपुर में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा का यह नवाचार उदयपुर जिले के लिए सार्थक और उपयोगी साबित हुआ। जिले के सुदूर आदिवासी अंचल कोटडा जिसके सुदृढ़ीकरण के लिए कलेक्टर लगातार प्रयासरत है और मिशन कोटडा के माध्यम से क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं ऐसे में इतना बड़ा आयोजन इस मंच पर होना यहां के क्षेत्रवासियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है वही उदयपुर में पर्यटन को प्रोत्साहित करने के साथ यहां की लोक कलाओं को उभारने और स्थानीय कलाकारों को एक मंच प्रदान करने के लिए सार्थक साबित हुआ है।
बता दें कि यह समारोह 27 व 28 सितम्बर को जनजाति बाहुल्य क्षेत्र कोटड़ा में आयोजित किया गया जिसमें हजारों की संख्या में कोटड़ा तथा आसपास के क्षेत्रों के लोगेां एवं उदयपुर से गए पर्यटकों एवं उदयपुर वासियों ने आनन्द लिया, इस राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव में लगभग 450 से अधिक कलाकारों के प्रदर्शन का आनन्द लिया व साथ ही लगभग 100 शिल्पकारों तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगाई गई स्टॉल्स की सामग्री की जानकारी लेने के साथ साथ भारी खरीददारी भी की गई।
Source : Jamal Khan