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राजस्थान में बिजली के बाद पेट्रोल, डीजल की किल्लत, 2 हजार से अधिक पेट्रोल पंप ड्राई

उत्तर भारत के कई राज्यों की तरह राजस्थान भी पेट्रोल और डीजल की कमी से जूझ रहा है, पिछले कुछ दिनों से दो तेल कम्पनियों भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की मांग के अनुपात में पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति नहीं कर रही.

Updated on: 14 Jun 2022, 05:47 PM

highlights

  • सौ से ज्यादा पर पेट्रोल और डीज़ल उपलब्ध नहीं होने के बोर्ड लग चुके हैं
  • हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनी की तरफ से सप्लाई कम की  जा रही है

नई दिल्ली:

उत्तर भारत के कई राज्यों की तरह राजस्थान भी पेट्रोल और डीजल की कमी से  जूझ रहा है, पिछले कुछ दिनों से दो तेल कम्पनियों भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की मांग के अनुपात में पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति नहीं कर रही. जिसकी वजह से राजस्थान के साढ़े छह हजार पेट्रोल पम्प्स में से करीब दो हजार पेट्रोल पम्प्स ड्राई हो चुके है. राजस्थान का कोई छोटा बड़ा जिला ऐसा नहीं है जहां पेट्रोल और डीजल की क़िल्लत नहीं हो. जयपुर में करीब साढ़े छह सौ पेट्रोल पम्प्स हैं और इनमे से सौ से ज्यादा पर पेट्रोल और डीज़ल उपलब्ध नहीं होने के बोर्ड लग चुके हैं.

राजस्थान पेट्रोल डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनीत बगई ने बताया कि इस क़िल्लत की पहली बड़ी वजह है, करीब दो हफ्ते से रिलायंस और एस्सार के पेट्रोल पम्प्स का बंद होना. इन दोनों कम्पनियों का राजस्थान में मार्केट शेयर करीब पंद्रह फ़ीसदी है और अब इनके पम्प्स बंद हुए तो इनका भार अन्य कम्पनियों के पेट्रोल पम्प्स पर आ गया. 

कंपनी की तरफ से सप्लाई कम की जा रही

दूसरी वजह है भारत और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनी की तरफ से सप्लाई कम की जा रही है. बगई के अनुसार केवल इंडियन आयल कंपनी राज्य को पूरी सप्लाई दे रही हैं. इस संकट की एक वजह ये भी बताई गई है कि पेट्रोलियम कंपनियों को हो रहा घाटा लगातार बढ़ रहा है और इसकी वजह कंपनी सप्लाई कम दे रही है. अगर ऐसा  है तो बड़ा सवाल ये है कि तीनो कंपनी सरकारी हैं तो ऐसे में एक कंपनी कैसे पूरी सप्लाई कर रही है. 

राजस्थान पेट्रोल डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनित बगई का कहना है कि अभी जो हालात राजस्थान में बने हुए हैं. उनमें अगले तीन चार दिनों तक सुधार होने के आसार नहीं है. इसकी वजह है अगर तेल कंपनी आज से भी आपूर्ति बढ़ा देंगी तो भी पूरे राज्य में सप्लाई सही ढंग से दो तीन दिन में पहुंच सकेगी. इस किल्लत की वजह से आम आदमी तो परेशान है ही, साथ ही खेती किसानी और उद्योग धंधों पर भी इसका असर पड़ रहा है. उद्योगों के उत्पादन और किसानों को बुवाई के मौसम में डीजल की कमी का सामना करना पड़ रहा है.