गांव के छात्रों के लिए कठिन हुई Online Classes की डगर, पेड़ पर चढ़कर करते हैं पढ़ाई
देश में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्कूल और कॉलेजों को बंद रखा गया है. छात्रों की पढ़ाई अब पूरी तरह ऑनलाइन क्लासेस पर निर्भर हो गई है. ऐसे में शहर से दूर दराज इलाकों और गांवों में छात्रों की परेशानी काफी बढ़ गई है.
highlights
- गांवों में ऑनलाइन क्लास करना बच्चों के लिए काफी कठिन हो रहा है
- राजस्था के सीकर में बच्चों को पढ़ाई के लिए पेड़ पर चढ़ना पड़त है
- शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क काफी खराब रहता है
सीकर:
देश में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्कूल और कॉलेजों को बंद रखा गया है. छात्रों की पढ़ाई अब पूरी तरह ऑनलाइन क्लासेस पर निर्भर हो गई है. ऐसे में शहर से दूर दराज इलाकों और गांवों में छात्रों की परेशानी काफी बढ़ गई है. दरअसल, गावों में मोबाइल नेटवर्क बहुत ही खराब रहता है. इन क्षेत्रों में फोन पर बात ही बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में नेट द्वारा पढ़ाई करना किसी किले को फतह करने जैसा है. एक ऐसी ही तस्वीर राजस्थान की सीकर से सामने आई है. यहां बच्चे पेड़ पर बैठकर ऑनलाइन क्लास करते हैं.
दांतारामगढ़ तहसील के कांटिया गांव में मोबाइल नेटवर्क बेहद ही खराब रहता है, जिस वजह से बच्चों को ऑनलाइन क्लास करने के लिए पेड़ पर चढ़ना पड़ता है या फिर किसी के घर की छत पर. स्कूल बंद हैं और बच्चों को ऑनलाइन क्लास अटेंड करना जरूरी है इसलिए उनके पास पेड़ पर चढ़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
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सुनील कुमावत ने बताया कि उनके गांव कांटिया में मोबाइल नेटवर्क नहीं है. इसलिए वो एक युवक को फोन लेकर पेड़ पर चढ़ाते हैं. ताकि नेटवर्क मिलने पर हमें स्कूल से मिले होमवर्क के बारे में पता चल सके. उसी आधार पर हम अपनी पढ़ाई करते हैं. कई बार पेड़ पर चढ़ने वाला कोई नहीं होता तो हमें अपनी पढ़ाई करने में और मुश्किल होती है. ऐसी स्थिति में हमें खुद ही पेड़ पर चढ़ना पड़ता है.
मोबाइल का नेटवर्क नहीं होना ग्रामीण वासियों के लिए सामने परेशानी खड़ी कर रहा है. रिश्तेदारों से कुशलक्षेम पूछने के लिए भी यहां के लोगो को गांव की ऊंचाई वाले जगह पर चढऩा पड़ता है. किसी प्रकार की वारदात या दुर्घटना होने पर तत्काल पुलिस को सूचित करना तो नामुमकिन है.
ऑनलाइन क्लास की वजह से बच्चों में लिखने की क्षमता हुई खराब
एक सर्वे के मुताबिक, तो राजस्थान के करीब 40 फीसदी बच्चों की लेखन क्षमता खराब हुई है, तो वहीं उनकी लर्निंग कैपेसिटी और लिखने की समय सीमा में भी बढ़ोतरी हुई है. ऑनलाइन क्लास से ऊब चुके बच्चे भी अब अपनी स्कूलों को याद करने लगे हैं.
बच्चों का कहना है कि स्कूल में ब्लैक बोर्ड पर लिखवाया जाता है जिससे लिखने की गति बढ़ती है. इसके साथ ही स्कूलों में राइटिंग पेज भी होने की वजह से लेखनी अच्छी होती है. लेकिन ऑनलाइन क्लास में सिर्फ होमवर्क दिया जाता है. ऐसे में लिखने और समझने की क्षमता पर थोड़ा असर पड़ा है.
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