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अशोक गहलोत, राजेंद्र गुढ़ा( Photo Credit : फाइल फोटो)
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अशोक गहलोत, राजेंद्र गुढ़ा( Photo Credit : फाइल फोटो)
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी घमासान जारी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को बर्खास्त कर दिया. इसके बाद प्रदेश का सियासी पारा हाई है. विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इस मुद्दे को आड़े हाथ लिया. बीजेपी ने कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सच बोलने वालों को दंडित करने का आरोप लगाया. वहीं, राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि उन्हें सच बोलने की सजा मिली है. राजेंद्र गुढ़ा लगातार कांग्रेस और अशोक गहलोत पर हमला बोल रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर अशोक गहलोत के संकटमोचक रहे राजेंद्र गुढ़ा बागी कैसे हो गए. अशोक गहलोत की मुखालफत क्यों करने लगे.. जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत के खिलाफ वह ज़हर क्यों उगलने लगे.. कब दोस्ती दुश्मनी में बदल गई. ऐसे कई सवाल हैं जिसे जानना जरूरी है.
राजस्थान के झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी से विधायक राजेंद्र गुढ़ा 2008 में पहली बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद फिर वह 2018 में दूसरी बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीते. हालांकि, 2019 में गुढ़ा के नेतृत्व में बसपा के 6 विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इनाम के तौर पर मुख्यमंत्री गहलोत ने गुढ़ा को मंत्री भी बना दिया, पर सियासी हलकों में चर्चा थी कि गुढ़ा को मंत्री पद तो दे दिया गया, लेकिन पावर वह नहीं मिली जो वह चाहते थे. यहीं से दोनों के बीच रिश्ते तल्ख हो गए कि सरकार ही नहीं पार्टी से भी बाहर निकल गए.
गुढ़ा और गहलोत के बीच विवाद की यह है मुख्य वजह
दरअसल, 2019 में राजेंद्र गुढ़ा को राज्य मंत्री बनाया गया था. इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2008 में भी बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल किए थे. बसपा से कांग्रेस में आए रमेश मीणा को मुख्यमंत्री गहलोत ने कैबिनेट मंत्री बना दिया. इस बात से राजेंद्र गुढ़ा खासे नाराज हुए. गुढ़ा ने अपनी नाराजगी मुख्यमंत्री गहलोत के पास और प्रदेश प्रभारी के पास भी रखी. राजेंद्र गुढ़ा खुद को रमेश मीणा से वरिष्ठ मानते थे. राजेंद्र गुढ़ा नहीं चाहते थे कि रमेश मीणा का कद उनसे बड़ा हो, पर अशोक गहलोत ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया था. सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि अपने ही विभाग में गुढ़ा की चलती नहीं थी. ना ही कोई अधिकारी उनकी बात को ध्यान देता था और ना ही किसी तरह का कोई उनसे संवाद होता था. इन सबको लेकर गुढ़ा नाराज थे. इसी बीच गुढ़ा के साथ बसपा से कांग्रेस में आए विधायक भी सीएम गहलोत के साथ हो गए.
बसपा विधायकों पर भी राजेंद्र गुढ़ा की पकड़ कमजोर
इसके अलावा गुढ़ा को यह भी लग रहा था कि उनके साथ जो विधायक बसपा से कांग्रेस में आए थे.. वह उन्हें ज्यादा तवज्जो देंगे, लेकिन गुढ़ा का यह भ्रम भी टूट गया. प्रदेश में बदले हालात में बसपा से आए बाकी विधायक सीएम गहलोत के साथ हो लिए. विधायकों पर अपनी पकड़ कमोजर होता देख और गहलोत की अन्य विधायकों के साथ नजदीकी देख गुढ़ा अशोक गहलोत से खफा रहने लगे. अपने सियासी वजूद पर संकट देखते हुए गुढ़ा ने सीधे-सीधे अशोक गहलोत पर हमला करना शुरू कर दिया. इस दौरान गहलोत पायलट के बीच जो खट्टे रिश्ते थे. उसमें राजेंद्र गुढ़ा ने पायलट की तरफ से मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ हर मोर्चे पर बोलने लगे. यहां तक कि कई बार सचिन पायलट से भी ज्यादा गुढ़ा गहलोत पर आक्रमक होते दिखे. सचिन पायलट गहलोत के खिलाफ कम बोलते थे जबकि गुढ़ा गहलोत के खिलाफ सियासी पिच तैयार करने में जुटे रहते थे. गुढ़ा ने पिछले दिनों सचिन पायलट की अजमेर से जयपुर तक की पदयात्रा के दौरान भी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
विधानसभा में राजेंद्र गुढ़ा ने सरकार को यूं घेरा
गहलोत मंत्रिमंडल से बर्खास्त और कांग्रेस से निष्कासित राजेंद्र गुढ़ा कभी अशोक गहलोत के बेहद करीबी हुआ करते थे, लेकिन पिछले दिनों मणिपुर घटना को लेकर कांग्रेस पार्टी बीजेपी को घेरने में जुटी थी. तब राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी सरकार पर सवाल खड़े कर दिए. राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में कहा था कि हम दूसरे राज्यों की चर्चा करते हैं ,जबकि सच्चाई है कि हम राजस्थान में महिलाओं की सुरक्षा में विफल हुए हैं.