राजस्थान में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट की ओर बढ़ते कदम, जर्मन तकनीक एक्मो लगाकर बचाई रोगी की जान
उदयपुर के गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने नया कीर्तिमान हाशिल किया है जो राजस्थान में एक अनूठा है और जर्मन तकनीक एक्मो के तहत हार्ट ट्रांसप्लांट कर मरीज को नया जीवन दान दिया है
नई दिल्ली:
उदयपुर के गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने नया कीर्तिमान हाशिल किया है जो राजस्थान में एक अनूठा है और जर्मन तकनीक एक्मो के तहत हार्ट ट्रांसप्लांट कर मरीज को नया जीवन दान दिया है, जिसके लिए राजस्थान सरकार की चिरंजीवी योजना बहुत बड़ी कारगर सिद्ध हुई है औऱ मरीज का निशुल्क इलाज किया गया. जटिल से जटिल ऑपरेशनों को कार्डियकसाइंसेज़ विभाग की अनुभवी टीम द्वारा पिछले 10 वर्षों से लगातार प्रयास कर रहे हैं.
आपको बता दें कि उदयपुर जिले के ग्राम झाडोल, फलासिया के रहने वाले 15 वर्षीय युवक दिनेश रुमेटिक ह्रदय रोग से पीड़ित था, जो पिछले दिनों गीतांजली हॉस्पिटल में हार्ट फेलियर के लक्षणों के साथ आया था, उसे चलने-फिरने में सांस फूलना, पाँव में सूजन, शरीर में कमज़ोरी, दिल की धड़कन तेज़ जैसे लक्षण थे, जिस कारण कोई भी भारी काम नही कर पाता था, जिसकी पूर्ण जांच करने पर पाया गया कि उसके दिल के एक वाल्व में बहुत ज्यादा लीकेज है, जिसको वाल्व के ऑपरेशन करने के लिए भर्ती किया गया, युवक को भर्ती करने के बाद वार्ड में ही उसके ह्रदय की गति बहुत धीमी हो गयी.
इसके बाद तुरंत कार्डियक एनेस्थीसिया की टीम ने रोगी को सी.पी.आर दिया, लगभग आधा घंटा रोगी के चेस्ट कंप्रेशन दिया गया | इसके पश्चात् धीरे-धीरे ह्रदय की गति चलने लगी और साथ ही दिमाग भी सक्रिय हो गया| सुधार तो हो गया परन्तु इसके प्लेटलेट काउंट काफी कम थे, तभी स्तिथि को देखते हुए ह्रदय शल्य चिकित्सकों की टीम मरीज का ऑपरेशन करना चाह रही थी, क्योंकि रोगी उम्र में छोटा था और साथ ये चिंता थी कि कही ह्रदय की गति पुनः ना रुक जाए, जैसे ही प्लेटलेट काउंट बढ़े तुरंत रोगी को ऑपरेशन के लिए लिया गया.
डॉ संजय गांधी ने बताया कि ऑपरेशन के लिए जैसे ही रोगी की छाती को खोला तो देखा कि ह्रदय की तीनों परत आपस में चिपकी हुई थी और साथ ही सूजन भी काफी थी. रोगी को हार्ट लंग मशीन पर लेकर उसका ऑपरेशन द्वारा वाल्व को बदला गया. सामान्यतया वाल्व बदलने के बाद रोगियों में समय के साथ ह्रदय की पम्पिंग में सुधार आने लगता है और रोगी को हार्ट लंग मशीन से हटा लिया जाता है, परन्तु इस रोगी के ह्रदय की पम्पिंग बहुत धीमी थी, जैसे ही रोगी को हार्ट लंग मशीन से हटाने लगते तो रोगी का ह्रदय ब्लड पंप नही कर पा रहा था| इस तरह के प्रयास दो बार किए गए परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ.
रोगी की स्थिति को देखते हुए रोगी के हार्ट की पम्पिंग के लिए बलून पंप (आई.ए.बी.पी) डाला, इसके उपरान्त भी कोई ख़ास सुधार नहीं आया और उसकी की स्थिति को देखते हुए शल्य चिकित्सकों की टीम में ऑपरेशन थिएटर में विचार विमर्श किया कि कैसे इस तरह के गंभीर रोगी को बचाया बचाया जाए, जिस पर सबकी सलाह से युवक मरीज को अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त एक्मो मशीन पर लिया गया. जो राजस्थान में पहली बार हुआ कि ऑपरेशन के बाद रोगी को तीन दिन तक इस मशीन पर रखा गया. इसके बाद इस गंभीर रोगी में सुधार आने लगा, औऱ ऑपरेशन के एक सप्ताह बाद से मरीज बिल्कुल स्वस्थ है जिसको लेकर डॉक्टरों व परिवार में ख़ुशी है.
जिले के आदिवासी अंचल के रहने वाले मरीज का परिवार काफी गरीब है और इलाज कराने अक्षम था, पिता पेशे से किसान हैं. उनके पास अपने बच्चे के इलाज को कराने के लिए कोई धन राशि नही थी. ऐसी स्थिति में रोगी दिनेश को राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना बहुत बडी कारगर साबित हुईं, जिसके तहत उसका निःशुल्क इलाज हुआ, जिस पर उसका परिवार बार बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गीतांजली हॉस्पिटल का आभार प्रकट करते नही थक रहे हैं, वहीं अस्पताल के डॉ. संजय गांधी ने बताया कि अब ह्रदय की बीमारी और इसके इलाज में किसी तरह का भय नहीं है आज नई तकनीकों के आने से ऑपरेशन का रिस्क बहुत कम हो गया है.
अनुभवी टीम और मल्टीडीसीप्लिनरी अप्प्रोच के साथ जटिल ऑपरेशन किए जा रहे हैं, जिससे रिस्क और भी कम हो जाता है. झाड़ोल के निवासी दिनेश को नया जीवन मिलने से जिला कलेक्टर ने भी ख़ुशी जताई और आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सरकार की चिरजीवी योजना से जुड़ने की बात कही, उदयपुर के जिला परिषद सभागार में कलेक्टर ताराचंद मीणा व हॉस्पिटल की टीम द्वारा प्रेसवार्ता का आयोजन कर जानकारी दी, ताकि आदिवासी अंचल के लोगों इस योजना का अधिक से अधिक फायदा उठा सके.
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