Makar Sankranti 2020: जानें राजस्थान के दड़ा महोत्सव के बारें में, इससे तय होती है राज्य का भविष्य

टोंक जिले के देवली उपखण्ड के आंवा कस्बे मे मकर सक्रांति पर्व पर आंवा कस्बे मे दड़े का अनोखा खेल खेला जाता है. जिसमें 12 गांव के लोग हिस्सा लेने के लिए आते है, खेलने के लिए करीब 80 किलो वजन का एक फुटबाल नुमा बोरियों के टाट से दड़ा बनाया जाता है.

टोंक जिले के देवली उपखण्ड के आंवा कस्बे मे मकर सक्रांति पर्व पर आंवा कस्बे मे दड़े का अनोखा खेल खेला जाता है. जिसमें 12 गांव के लोग हिस्सा लेने के लिए आते है, खेलने के लिए करीब 80 किलो वजन का एक फुटबाल नुमा बोरियों के टाट से दड़ा बनाया जाता है.

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Vineeta Mandal
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Makar Sankranti 2020: जानें राजस्थान के दड़ा महोत्सव के बारें में, इससे तय होती है राज्य का भविष्य

Makar Sankranti 2020( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

टोंक जिले के देवली उपखण्ड के आंवा कस्बे मे मकर सक्रांति पर्व पर आंवा कस्बे मे दड़े का अनोखा खेल खेला जाता है. जिसमें 12 गांव के लोग हिस्सा लेने के लिए आते है, खेलने के लिए करीब 80 किलो वजन का एक फुटबाल नुमा बोरियों के टाट से दड़ा बनाया जाता है. पहले राजा महाराजा के राज मे सेना मे भर्ती करने के लिए इस खेल मे जो लोंग अच्छा प्रर्दशन करते थे उन्हे राजा अपनी फौज मे सैनिक के लिय भर्ती करते थे ..पहले चयन का तरीका था अब परंपरा बन गया है, इस बार दड़ा किसी भी दरवाजे पर नहीं पहुंचा और मध्य में ही खेल का अंत हो गया इसलिए इस साल भी मध्यम रहेगा परम्परा अनुसार ऐसा माना जा रहा है.

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आंवा कस्बे में मकर सक्रांति पर्व पर जोश व उमंग के साथ भाईचारा व सौहार्द को बढावा देने वाला पारपंरिक खेल दड़ा खेल खेला जाता है. ये खेल 14 जनवरी को वर्षों से खेला जा रहा है, जिसमें 12 गांव के लोग हिस्सा लेने के लिए आते है. खेलने के लिए करीब 80 किलो वजन का एक फुटबाल नुमा बोरीयो के टाट से दड़ा बनाया जाता है, जिसे पानी में भिगोया जाता है फिर आंवा के गोपाल चोक मे लाकर रख दिया जाता है.

बाद मे खेलने के लिय आये 12 गांव के लोगों को 6-6 गांव के लोंगो आमने सामने टीम बनाकर खेलने के लिय बांट दिया जाता. इस खेल के कोई नियम नहीं होता है, खेल शुरू होते ही दड़ेको लोग अपने पैरों से एक दूसरे की तरफ भेजने का प्रयास करते हैं.

ग्रामीणों का बताना है कि पहले राजा महाराजा के राज मे सेना मे भर्ती करने के लिय इस खेल मे जो लोग अच्छा प्रर्दशन करते थे उन्हे राजा अपनी फौज मे सैनिक के लिए भर्ती करते थे. म में अच्छा प्रदर्शन करने वाले लोगों को राजा महाराज अपनी सेना में भर्ती करते थे सैनिक भर्ती में चयन का तरीका था.

इस खेल को लोग वर्षों से खेलते आरहे है एंव इस खेल की मान्यता को किसान आने वाले साल मे सुकाल होगा या अकाल होगा उससे जोड़कर देखते है. इस खेल के मैदान में दो दरवाजे बने हुहे है, जिनके नाम एक अखनिया दरवाजा एंव दूसरे का नाम दूनी दरवाजा. अगर खिलाडी दड़े को दूनी दरवाजे की तरफ धकेल कर ले जाते है तो लोगो का मानना हैं कि इस वर्ष सुकाल होगा और किसानो की फसल की पैदावर अच्छी होगी. अगर दड़ेको अखनिया दरवाजे की तरफ चला जाता है.

लोगों की मान्यता है कि इस बार अकाल पडेगा ओर अगर दड़ा बीच मे ही रह जाता है तो लोगों की मान्यता है कि इस वर्ष मध्यम रहेगा उसी हिसाब से किसान अपनी फसल की बुआई करते है.

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इस खेल को देखने के लिय लोग मकानो की छत पर चढकर देखते है ओर हजारों की तादात में इस खेल को देखने के लिय लोग दूर-दूर से आते है. यह खेल 12 बजे शुरू होता
है जो शुरू होकर करीब 3 बजे तक लगातार इस खेला जाता है.

आज आंवा में खेले गए दड़ा खेल का नतीजा प्रदेशवासियों के लिए सौगात लेकर आया. टोंक के आवां से प्रदेश में इस साल की पहली भविष्यवाणी दड़ा महोत्सव में दूनी दरवाजे पहुंचा दड़ा. दूनी दरवाजे म़े दड़ा पहुंचने पर सुकाल की होती है भविष्यवाणी, इस बार प्रदेश में नहीं पड़ेगा सूखा.

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