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करौली केस: परिजनों का पुजारी के दाह संस्कार से इनकार, मांगा 50 लाख मुआवजा-नौकरी

राजस्थान के करौली में जलाकर मारे गए पुजारी के परिजनों ने अंतिम संस्कार से मना कर दिया है. पीड़ित परिजन मुआवजे और नौकरी की मांग कर रहे हैं.

Updated on: 10 Oct 2020, 11:43 AM

करौली :

राजस्थान के करौली में जलाकर मारे गए पुजारी के परिजनों ने अंतिम संस्कार से मना कर दिया है. पीड़ित परिजन मुआवजे और नौकरी की मांग कर रहे हैं. पुजारी के परिजनों का कहना है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, हम अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. बता दें कि करौली में शुक्रवार को एक मंदिर के 50 वर्षीय पुजारी को राज्य के करौली में छह दबंगों द्वारा पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया था. उसने मंदिर अधिकारियों की जमीन पर अतिक्रमण करने के प्रयास का विरोध किया था, जिसके बाद इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया गया.

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पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन पीड़ित परिवार की मांग है कि आरोपी गिरफ्तार हों और आरोपियों का समर्थन करने वाले पटवारी और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो. पीड़ित परिजन मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं. पुजारी बाबूलाल के रिश्तेदार ने कहा, 'हमें 50 लाख का मुआवज़ा और एक सरकारी नौकरी मिले. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, हम अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.'

हालांकि इसको लेकर करौली के एसडीएम ने बताया, 'उनके (पुजारी बाबूलाल) अंतिम संस्कार के लिए लोग इकट्ठा हुए हैं, उन्होंने प्रशासन और राज्य सरकार से कुछ मांगें रखी हैं. हमने उच्च अधिकारियों के जरिए सरकार को मांगों से अवगत कराया है. मौत को 2 दिन हो चुके हैं, इसलिए हम परिजनों से अंतिम संस्कार करने का निवेदन कर रहे हैं.'

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पुलिस के अनुसार, घटना करौली जिले में सापोटरा के बूकना गांव की है. वहां बुधवार को एक मंदिर के पुजारी बाबू लाल वैष्णव पर पांच लोगों ने हमला किया. आरोप है कि मंदिर के पास की खेती जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे इन लोगों ने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. घायल पुजारी को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां से उन्हें बृहस्पतिवार को जयपुर भेजा गया, वहां उन्होंने दम तोड़ दिया.

इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है. विपक्षी बीजेपी ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस घटना को निंदनीय बताते हुए कहा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार को अब अपनी गहरी नींद को त्यागते हुए दोषियों को सख्त सजा दिलाकर परिवार को तुरंत न्याय दिलाना चाहिए.

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उधर, इस मामले में एक खुलासा भी हुआ है. पता चला है कि गांव में 6 सितंबर को पंचों की बैठक हुई थी. बैठक में अतिक्रमण को रोकने का फैसला लिया गया था. इस पर गांव के 100 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन आरोपी कैलाश मीणा ने फैसले पर हस्ताक्षर नहीं किए और उसके बाद मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण करने के लिए पहुंचा था. इसी दौरान पुजारी के रोकने पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी.