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किसान कर्जमाफी बना सियासी हथियार, राजस्थान में ये है जमीनी हकीकत

पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने साल 2018 में चुनाव से पहले 30 लाख किसानों का कुल करीब 8500 करोड़ का कर्जमाफ करने का एलान किया था। जिसके तहत एक किसान का 50 हजार रुपए का कर्ज़माफ हुआ था. साल 2018 में राजस्थान कृषक ऋण माफी योजना के तहत 8414.53 करोड़...

Updated on: 07 Sep 2022, 08:30 PM

highlights

  • किसानों की कर्जमाफी की राजनीति
  • राजस्थान में सरकार ने नहीं किये वादे पूरे
  • वादा पूरा होगा या ख्वाब अधूरे ही रहेंगे? 

जयपुर:

देश-प्रदेश में सत्ता का रास्ता खेतों से होकर गुजरता है. राजस्थान में सत्ता में आने ने लिए कांग्रेस ने साल 2018 में जिस तरह क़र्ज़ माफ़ी के वादा किया था, अब उसी अस्त्र को गुजरात चुनावों में भी सबसे बड़े वोट बैंक किसान को साधने के लिए चला दिया है, लेकिन राजस्थान के किसान ही कांग्रेस के इस वादे को लेकर अब तक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. राजस्थान में क्या है किसान कर्ज माफी की हकीकत, खुद ही जान लीजिए... 

ये है राजस्थान का हाल 

किसान, कर्जमाफी और उनकी आय बढाने की बात मानों हर चुनावों में राजनीतिक दलों के लिए किसानों के वोट बेंक को लुभाने का एक माध्यम बन गई है. गुजरात चुनावों से पहले कांग्रेस ने यही दाव एक बार फिर से वहां खेलते हुए सत्ता में आने पर 3 लाख रूपये की क़र्ज़ माफ़ी का वादा किया है. ऐसा ही एक वादा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गाँधी ने राहुल गांधी ने एक से 10 की गिनती कर साल 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले भी 10 दिन में करने का किया था. कांग्रेस सत्ता में आई. राईडर लगाते हुए राजस्थान सरकार ने अलग-अलग श्रेणी के कर्जदार किसानों के लिए साल 2018 से 2019 के बीच कर्जमाफी की कुल चार योजनाओं की घोषणा की. सहकारी बेंकों के कर्जे माफ़ भी हुए, लेकिन नेशनल बेंकों के कर्जे माफ़ी का अब भी किसानों को इंतजार है.

 राजे सरकार ने किया था अधूरा कर्ज माफ

दरअसल पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने साल 2018 में चुनाव से पहले 30 लाख किसानों का कुल करीब 8500 करोड़ का कर्जमाफ करने का एलान किया था. जिसके तहत एक किसान का 50 हजार रुपए का कर्ज़माफ हुआ था. साल 2018 में राजस्थान कृषक ऋण माफी योजना के तहत 8414.53 करोड़ की ऋण माफी प्रस्तावित थी, लेकिन इसमें 7546.78 करोड़ रुपए का ही कर्ज माफ हो पाया. इसी तरह राजस्थान जनजातीय उपयोजना कृषि ऋण माफी एवं रहन मुक्ति योजना 2018 के तहत 96.97 करोड़ के ऋण माफ होने थे, लेकिन TSP क्षेत्र के लिए आई इस योजना में 72.56 करोड़ की माफी का ही लाभ किसानों को मिल पाया. वहीं राजस्थान कृषक ऋण माफी योजना 2019 में 9513.22 करोड़ की कर्जमाफी प्रस्तावित थी, लेकिन इस योजना में 7672.81 करोड़ की ऋण माफी का फायदा ही किसानों को मिला. उधर 2019 में ही लाई गई सहकारी मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन ऋण माफी योजना में 671 करोड़ की कर्ज माफी प्रस्तावित थी, लेकिन इस योजना में भी 311.20 करोड़ की माफी का ही लाभ किसानों को मिला. यानी की इन योजनाओं के तहत 18 हजार 695 करोड़ के कर्ज माफ करने का ऐलान किया गया था, लेकिन हकीकत में इसमें से 15 हजार 603 करोड़ के ही कर्जमाफ हो पाए.

राजस्थान में पुराना वादा ही अधूरा

चुनाव आते ही राजनीतिक दल देश के सबसे बड़े वोट बैंक किसान को अपने पाले में लाने के लिए तमाम कोशिशों में जुट जाते हैं, गुजरात रण को फतह करने के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर किसान कर्ज माफी का दाव खेला है. राहुल गांधी ने गुजरात के किसानों से वादा किया है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा, ऐसे में साढ़े तीन सालों में जब राजस्थान में ही वह किसानों के साथ किए वादों को पूरा नहीं कर पाई, तो गुजरात के उसके इस वादे की हकीकत क्या होगी, यह वक़्त ही बताएगा.