तेजी से बढ़ रहे हैं साइबर अपराध लेकिन पुलिस अब भी सुस्त
साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावे तो करती है पर जमीनी हकीकत उसके उलट है
नई दिल्ली:
फेसबुक,इंस्टाग्राम,और दूसरे सोशल नेटवर्किंग ऐप्स एक दूसरे के साथ खुशियां और जानकारी शेयर करने के प्लेटफॉर्म हैं. मगर इन दिनों ये प्लेटफॉर्म परेशानी का भी सबब बनते जा रहे हैं. इंटरनेट फ़्रेंडली लोगों के लिए सोशल साइट्स पर फेंक एकाउंट बड़ी समस्या बन रहे हैं. काफी लोगो को पता ही नहीं चलता है कि उनके नाम से फेक एकाउंट है. फेक एकाउंट की आड़ में कहीं पैसे हड़पे जा रहे हैं तो कहीं बदला लिया जा रहा है. राजस्थान में साइबर अपराधों का ग्राफ जिस तेजी से बढ़ रहा है उससे निपटने में पुलिस उतनी ही सुस्त नजर आ रही है.
साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकार बड़े-बड़े दावे तो करती है पर जमीनी हकीकत उसके उलट है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में इंटरनेट के जरिए आर्थिक अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. साइबर क्राइम के मामले में जयपुर रिकॉर्ड तोड़ रहा है. फेसबुक इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल नेटवर्किंग एप्स एक दूसरे के साथ खुशियां और जानकारी शेयर करने के प्लेटफॉर्म के साथ ही परेशानी के सबब भी बनते बनते जा रहे हैं. इंटरनेट फ्रेंडली लोगों के लिए सोशल साइट्स पर फेक अकाउंट्स बड़ी प्रॉब्लम बन रहे हैं. काफी लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उनके नाम से फेक अकाउंट है. आलम यह है मामूली कहासुनी के बाद बदला लेने के लिए भी सोशल साइट्स का दुरुपयोग किया जा रहा है.
वही ऐसे मामले भी सामने आ रहे है कि एक फोन पेरेंट्स को आता है कि उनका बेटा हॉस्पिटल में एडमिट है. अकाउंट नंबर भेज कर इलाज के लिए ठगों ने पैसे मंगवा लिए, बाद में पता चला कि बेटा तो सही सलामत है, उसका कोई
एक्सीडेंट नहीं हुआ है. उसके फेसबुक अकाउंट को हैक कर उसके पेरेंट्स को कांटेक्ट किया था. आलम यह है सोशल साइट्स पर फेक आईडी बनाकर लोगों से बदला लेना झूठी कहानी रच कर फिरौती मांगना महिलाओं के चरित्र का गलत चित्रण करना ऐसे
मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार हैकिंग के ज्यादातर मामले ऐसे लोगों के साथ होते हैं जो आमतौर पर अपना पासवर्ड फोन नंबर ही रख लेते हैं. साथ ही उनकी प्रोफाइल लॉक नहीं होने के कारण हैकर्स यूजर आईडी और फोन नंबर सहित दूसरी डिटेल आसानी से पता लगा लेते हैं. हैकर्स रेंडमली पासवर्ड में मोबाइल नंबर जरूर डालते हैं और आसानी से लोगों को निशाना बना लेते हैं.
ऐसे अधिकतर मामलों में महिलाएं ही शिकार होती हैं. सोशल साइट्स पर फेक अकाउंट बनाकर गर्ल्स की टेंपल फोटोज यानी एडिटिंग की गई फोटोज को पोस्ट करने की धमकी देकर ब्लैकमेलिंग की जा रही है. आजकल इंस्टाग्राम पर भी फेक अकाउंट के मामले सामने आ रहे हैं. साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि अक्सर ब्रेकअप के बाद गर्ल्स को डिफेम करने के लिए उनकी फोटो वायरल कर दी जाती है. हाल ही में एक लड़की के टिक टॉक वीडियो को एडिट कर उसे पोर्न वीडियो का रूप देकर फेक अकाउंट से वायरल कर दिया गया.
हालांकि पुलिस साइबर अपराध को एक चुनौती मानते हुए लगातार ऐसे अपराधों पर शिकंजा कसने बात कह रही है. सोशल मीडिया पर फेंक एकाउंट की आड़ में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे अपराध रोकने पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. जब तक फेक आईडी बनाना आसान है ऐसे अपराधों से निपटना उतना ही मुश्किल है.
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