Sanwalia Seth: मेवाड़ का गौरव श्री सांवलियाजी मंदिर एक बार फिर श्रद्धा, भक्ति और भंडार की अद्भुत कहानी लेकर सामने आया है. चित्तौड़गढ़ जिले के मण्डपिया गांव स्थित यह मंदिर, भगवान श्री कृष्ण के सांवले स्वरूप "श्री सांवलिया सेठ" को समर्पित है. हाल ही में मंदिर के भंडार को खोला गया और 6 चरणों में यहां से निकली धन राशि की गणना की गई. हालांकि इसकी गणना में काफी वक्त लगा. कई बार ये सवाल भी उठा आखिर इसकी गणना में कितना वक्त लगेगा. लेकिन अब ये गणना पूरी हो चुकी है और यह जानकारी भी सामने आ गई है कि आखिर इस दौरान कितना कैश निकला है.
भंडार से निकले 22 करोड़ रुपये से अधिक
चतुर्दशी को ठाकुरजी की राजभोग आरती के पश्चात मंदिर का भंडार खोला गया. गणना छह चरणों में पूरी की गई, जिसमें कुल 22 करोड़ 22 लाख 76 हजार 77 रुपये की नकद राशि, 410 ग्राम सोना और 80 किलो 500 ग्राम चांदी प्राप्त हुई.
हर चरण में निकली इतनी राशि
- पहला चरण: 7.15 करोड़ रुपए
- दूसरा चरण: 3.35 करोड़ रुपए
- तीसरा चरण: 7.63 करोड़ रुपए
- चौथा चरण: 3 करोड़ रुपए
- पांचवां चरण: 88.65 लाख रुपए
- छठा चरण: 20.85 लाख रुपए
भेंट कक्ष में भी उमड़ा भक्तों का प्यार
यह भंडार श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और मंदिर में उनके विश्वास का प्रतीक है. केवल भंडार ही नहीं, मंदिर के भेंट कक्ष में भी श्रद्धालुओं की भक्ति की झलक देखने को मिली. यहां से नकद और मनी ऑर्डर के माध्यम से 6 करोड़ 9 लाख 69 हजार 478 रुपये, 1 किलो 33 ग्राम 300 मिलीग्राम सोना, और 124 किलो 400 ग्राम चांदी प्राप्त हुई. यह धनराशि देश के विभिन्न हिस्सों से आए भक्तों की ओर से श्रद्धापूर्वक अर्पित की गई थी.
कुल आय 28 करोड़ से अधिक, सोना-चांदी भी भारी मात्रा में
भंडार और भेंट कक्ष की संयुक्त गणना के बाद मंदिर की कुल मासिक आय 28 करोड़ 32 लाख 45 हजार 555 रुपये रही. इसके अलावा मंदिर को कुल 1 किलो 443 ग्राम सोना और 204 किलो 900 ग्राम चांदी प्राप्त हुई.
गणना में प्रशासन की सख्त निगरानी
भंडार की अंतिम गणना मंदिर मंडल बोर्ड के अध्यक्ष हजारी दास वैष्णव की निगरानी में की गई. इस दौरान कई प्रशासनिक अधिकारी, मंदिर कर्मचारी तथा क्षेत्रीय बैंक अधिकारी उपस्थित थे. पूरी प्रक्रिया को पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ संपन्न किया गया.
तीर्थ के रूप में सांवलियाजी का महत्व
राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात से लाखों श्रद्धालु हर माह इस पवित्र धाम में दर्शन हेतु आते हैं. श्री सांवलियाजी मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक योगदान का केंद्र भी बन चुका है. श्री सांवलियाजी मंदिर एक बार फिर यह सिद्ध करता है कि जब श्रद्धा सच्ची होती है, तो भगवान अपने भक्तों की झोली भरने में देर नहीं करते. करोड़ों की यह भेंट सिर्फ धन नहीं, श्रद्धा की संपत्ति है.