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गुर्जर आरक्षण आंदोलन के लीडर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन, लंबे समय से थे बीमार

राजस्थान में गुर्जर आंदोलन के मुख्य नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन हो गया है. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनकी तबियत बिगड़ने पर उन्हें जयपुर के मणिपाल अस्पताल में ले जाया गया.

Updated on: 31 Mar 2022, 10:40 AM

highlights

  • कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन
  • जयपुर में ली आखिरी सांस
  • सेना में जांबाजी से लेकर गुर्जर आंदोलन के मुखिया के तौर पर पहचान

जयपुर:

राजस्थान में गुर्जर आंदोलन के मुख्य नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन हो गया है. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनकी तबियत बिगड़ने पर उन्हें जयपुर के मणिपाल अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बैंसला के निधन पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. राजस्थान में बैंसला को गुर्जरों की अधिकारों की लड़ाई में अगुवा के रूप में जाना जाता है उनके एक इशारे पर सर्व समाज एकजुट हो जाता था. बैंसला की ताकत इतनी थी कि वो उनके एक इशारे पर पूरा राजस्थान रुक जाता था. वसुंधरा राजे से लेकर अशोक गहलोत सरकार तक उनकी ताकत का अहसास राजस्थान में कई बार कर चुके हैं.

युद्धबंदी भी बने थे कर्नल बैंसला, इंडियन रैंबो मिला था उपनाम

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ. गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोडी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर ही थी, लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ था. उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया. वे सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए. बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी से वतन के लिए जौहर दिखाया. किरोड़ी सिंह बैंसला एक पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे. उन्हें दो उपनामों से भी उनके साथी जानते थे. सीनियर्स उन्हें 'जिब्राल्टर का चट्टान' और साथी कमांडो 'इंडियन रेम्बो' कह कर बुलाते थे. वो किरोड़ी सिंह की जाबांजी ही थी कि सेना में सिपाही के तौर पर भी तरक्की पाते हुए वह कर्नल की रैंक तक पहुंचे.

रिटायर होने के बाद शुरू किया गुर्जर आंदोलन

सेना से रिटायर होने के बाद किरोड़ी सिंह राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की. आंदोलन के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया. आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे. उनके आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है. किरोड़ी सिंह कई बार कह चुके है कि उनके जीवन को मुगल शासक बाबर और अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, दो लोगों ने प्रभावित किया है. उनका कहना है कि राजस्थान के ही मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है और इससे उन्हें सरकारी नौकरी में खासा प्रतिनिधित्व मिला लेकिन गुर्जरों के साथ ऐसा नहीं हुआ. गुर्जरों को भी उनका हक मिलना चाहिए.