नया व्हीकल एक्ट हो या फिर भामाशाह, पीएम किसान निधि योजना. इस तरह तमाम योजनाओं को लेकर केंद्र और राजस्थान सरकार में टकराव के हालात बन रहे हैं. आलम यह है कि ऑनर किलिंग, मॉब लिंचिंग को लेकर भी केंद्र और राज्य सरकार में टकराव के हालात बन रहे हैं. राजस्थान सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में ऑनर किलिंग और मॉब लिचिंग की रोकथाम के लिए दो विधेयक पास किए थे लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक अपनी मंजूरी नहीं दी है. केन्द्र की मंजूरी के बिना इन दोनों कानूनों के तहत अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो पा रही है. सीएम ने केंद्र को पत्र लिखा है. इसको लेकर सियासत गरमा रही है.
राजस्थान सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में ऑनर किलिंग और मॉब लिचिंग की रोकथाम के लिए दो विधेयक पास किए थे लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक अपनी मंजूरी नहीं दी है. केन्द्र की मंजूरी के बिना इन दोनों कानूनों के तहत अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो पा रही है. प्रदेश में आए दिन हो रही मॉब लिचिंग की घटनाओं को रोकने और ऑनर किलिंग को बंद करने के लिए राजस्थान सरकार दो महत्वपूर्ण बिल लेकर आई लेकिन इन दोनों विधेयकों का आम जनता को कोई लाभ फिलहाल नहीं मिल रहा है.
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इसकी साफ वजह यह है कि राजस्थान विधानसभा में तो दोनों विधेयक पास हो गए लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक इन्हें मंजूरी नहीं दी है. लिहाजा इन विधेयकों को फिलहाल कानूनी रूप नहीं मिला है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद ही कानून का रूप मिलेगा और प्रदेश में प्रशासन इन कानूनों के तहत कार्रवाई कर सकेगा. ऑनर किलिंग और मॉब लिचिंग रोकने के लिए बनाए गए विधेयकों को मंजूरी दिलाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केन्द्र सरकार को पत्र भी लिख चुके हैं लेकिन अभी तक केन्द्र सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया है. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और केबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि मॉब लिंचिंग की घटनाएं होना चिंताजनक है, इन पर रोक लगाने के लिए कठोर कानून बनाना जरूरी है लेकिन केन्द्र सरकार जानबूझकर ऐसे गम्भीर मामलों को अनदेखा कर रही है. यह प्रवृति ठीक नहीं है.
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दूसरी ओर बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि कांग्रेस सरकार में क्राइम लगातार बढ़ रहा है.कांग्रेस सरकार के नेता पार्टी की अंतर्कलह से ही बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे के ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ रहे हैं. कानून तो पहले भी हैं आखिर सरकार कार्रवाई क्यों नही कर रही है. सरकार मॉब लिंचिंग कानून की आड़ में तुष्टिकरण कर रही है.
कानूनी बिलों को राजनीति की भेंट चढ़ाने से इस तरह के बिलों की सार्थकता नही रह जाती है. इससे पहले भी जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी तो धर्मान्तरण से संबंधित बिल धर्म स्वातंत्रय विधेयक को केन्द्र की यूपीए सरकार ने रोक दिया था और अब ये दोनों बिल दिल्ली में जाकर अटक गए है. ऐसे में राजनीति के चक्कर में असली अपराधियों के खिलाफ बिल बनने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं हो पाती है.
Source : लाल सिंह फौजदार