/newsnation/media/post_attachments/images/2023/06/18/34-12-31.jpg)
Biporjoy Cyclone( Photo Credit : News Nation)
Biporjoy Cyclone: अरब सागर में उठा चक्रवात तूफान बिपरजॉय गुजरात के बाद अब राजस्थान में तबाही मचा रहा है. यह बिपरजॉय का ही असर है कि रेगिस्तान में पहली बार बाढ़ जैसे हालात नजर आ रहे हैं. IMD वैज्ञानिक डॉ नरेश कुमार ने दिल्ली में कहा कि चक्रवात अभी दक्षिणी राजस्थान के मध्य में है. आज शाम तक इसका प्रभाव रहेगा. दक्षिणी राजस्थान में आज अति भारी बारिश हो सकती है. कल मध्य प्रदेश में भी भारी बारिश की संभावना है. उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में 2-3 दिनों में बारिश होगी. अरब सागर से आने वाली हवाओं के कारण दिल्ली एनसीआर में हल्की बारिश हो रही है. पूर्वी भारत में 2-3 दिनों में मानसून आने की संभावना है.
#WATCH | Delhi: The cyclone is currently in the middle of southern Rajasthan. It will be in effect till today evening. Heavy rain may occur in South Rajasthan today. There is a possibility of heavy rains in Madhya Pradesh tomorrow. It will rain in the southern part of UP in 2-3… pic.twitter.com/GZ8DnlIJ5e
— ANI (@ANI) June 18, 2023
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का जिक्र
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि अभी दो-तीन दिन पहले हमने देखा कि देश के पश्चिमी हिस्से में कितना बड़ा चक्रवात आया... तेज हवाएं, भारी बारिश. कच्छ में चक्रवाती तूफान बिपर्जोय ने भारी तबाही मचाई है. लेकिन कच्छ के लोगों ने जिस साहस और तैयारी के साथ इतने खतरनाक चक्रवात का मुकाबला किया, वह भी उतना ही अभूतपूर्व है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कभी दो दशक पहले आए विनाशकारी भूकंप के बाद कच्छ को कभी न उबर पाने वाला कहा जाता था... आज वही जिला देश के सबसे तेजी से विकास करने वाले जिलों में से एक है. मुझे विश्वास है कि कच्छ के लोग बाइपरजॉय चक्रवात से हुई तबाही से तेजी से उभरेंगे.
प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं
मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं है, लेकिन आपदा प्रबंधन की जो ताकत भारत ने वर्षों में विकसित की है, वह आज मिसाल बन रही है. प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका है प्रकृति का संरक्षण। आजकल मानसून के समय में इस दिशा में हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है इसलिए आज देश 'कैच द रेन' जैसे सामूहिक प्रयास कर रहा है.
Source : News Nation Bureau