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डॉक्टरों को लोन दिलवाकर कर की करोड़ों की ठगी, एसओजी के हत्थे चढ़े

एजेंट के रूप में पूर्व में गिरफ्तार रामलखन डिसानिया के मुताबिक डाक्टर्स से सम्पर्क करते एवं उन्हें विभिन्न बैंकों से कम समय में भारी मात्रा में लोन दिलवाने का काम करते थे.

Updated on: 04 Sep 2019, 08:11 PM

highlights

  • राजस्थान में डॉक्टर्स हुए लोन एजेंटों शिकार
  • एसओजी की टीम ने गैंग के 4 सदस्यों को दबोचा
  • एजेंटों को ज्यादा लोन करवाने से मिलता था ज्यादा कमीशन

नई दिल्‍ली:

बुधवार को एसओजी ने संगठित गिरोह बनाकर सैकड़ों चिकित्सकों को लोन दिलवाकर ठगी करवाने वाले गिरोह के 4 ओर अभियुक्तों एसओजी के हत्थे चढ़ गए हैं. अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एटीएस एवं एसओजी अनिल पालीवाल ने बताया कि विगत दिनों एसओजी ने काफी संख्या में चिकित्सकों को लोन दिलवाकर करोड़ों रूपये की ठगी करने वाले गिरोह के विरुद्ध मामला दर्ज कर अनुसंधान किया जाकर पूर्व में अभियुक्त रामलखन डिसानिया, अमित शर्मा और नेहा जैन को गिरफ्तार किया था. पालीवाल ने बताया कि इसी क्रम में एसओजी द्वारा उक्त गिरोह के अन्य सदस्य विकास शर्मा पुत्र श्री गोपाल लाल शर्मा (25) निवासी 106 लवकुश पथ ग्रीन सिटी 16 गोविंदपुरा कालवाड रोड जयपुर, लक्ष्मीनारायण पुत्र श्री रामचन्द्र कुमावत (36) निवासी बागवानों की ढाणी, जोबनेर, राधामोहन बंसीवाल पुत्र श्री नन्दकिशोर बंसीवाल (32) निवासी थाना बजाज नगर जयपुर तथा करण गुर्जर पुत्र श्री सीताराम गुर्जर (26) निवासी डी-4 ए बालाजी विहार 26 डी बैनाड रोड थाना झोटवाडा को जयपुर से गिरफ्तार किया गया.

उन्होंने बताया कि प्रारम्भिक पूछताछ में सामने आया कि उपरोक्त चारों अभियुक्त डीएसए (डायरेक्ट सेल्स एसोसिएट) के एजेंट के रूप में पूर्व में गिरफ्तार रामलखन डिसानिया के मुताबिक डाक्टर्स से सम्पर्क करते एवं उन्हें विभिन्न बैंकों से कम समय में भारी मात्रा में लोन दिलवाने का काम करते थे. इनके द्वारा डॉक्टर्स से सम्पर्क कर लोन के लिए आवश्यक दस्तावेज प्राप्त कर लिये जाते एवं उन दस्तावेजों के कई सैट बनाकर एक साथ विभिन्न बैंकों में लोन के लिए आवेदन कर दिया जाता था. अतिरिक्त महानिदेशक ने बताया कि अभियुक्त जानते थे कि यदि किसी एक बैंक से किसी आवेदक को उसकी क्षमता के अनुसार लोन स्वीकार हो जाये तो कुछ ही दिनों (लगभग 30 से 45 दिन के बीच) में वो लोन उस सम्बन्धित की सिबिल रिपोर्ट मे नजर आता है और इस आधार पर अन्य बैंक लोन के लिये किये गये आवेदन को खारिज कर सकते है.

इस वजह एक ही समय पर डाक्टर्स की लोन एप्लीकेशन एक साथ करीब 10 बैंको में लगवाई गई. इसके बाद जिन बैंको से लोन स्वीकृत हो गया उन बैंको से एग्रीमेंट प्राप्त कर डाक्टर के हस्ताक्षर करवा कर ग्राहक के बैंक खातों के चैक सहित अपने पास तैयार करके होल्ड कर लिये और अन्य बैंको से लोन स्वीकृत हो जाने का इंतजार किया और जब सभी बैंको से लोन स्वीकृत हो गया तब एक साथ सभी बैंको में लोन डिस्बर्समेंट के लिये एग्रीमेंट की कापी लगा दी और इस कारण किसी भी एक ग्राहक को मल्टीपल बैंको से स्वीकृत लोन सभी बैकों से लगभग एक ही समय पर (10 दिन के भीतर) डिस्बर्स होकर ग्राहक डाक्टर के खाते में आ जाता था.

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पालीवाल ने बताया कि इन सभी एजेन्टों द्वारा महज अपना कमीशन प्राप्त करने के लिये डाक्टर्स को जानबूझ कर योजनाबद्ध तरीके से एक से अधिक बैंको से उनकी क्षमता से अधिक लोन करवा दिया जाता था. जितना ज्यादा लोन इनके द्वारा करवाया जाता उसी अनुपात में डीएसए कम्पनी से उन्हें कमीशन प्राप्त होता था. फिर पूर्व में गिरफ्तार अभियुक्त रामलखन डिसानिया और उसके सहयोगियों द्वारा षडयंत्र पूर्वक दस लाख पर आठ हजार रूपये प्रतिमाह मुनाफे का लालच देकर उक्त ऋण के पैसों को स्वंय द्वारा संचालित व्यवसाय में निवेश करवा लिया जाता था. चारों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायालय से रिमाण्ड प्राप्त कर गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में गहन पूछताछ जारी है.

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