logo-image

केंद्र और गहलोत सरकार में फिर बने टकराव के हालत, फोन टेपिंग का जिन्न आया बाहर 

राजस्थान की एक अदालत ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को नोटिस भेजकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की जांच में सहयोग का नोटिस तामील करवाया है.

Updated on: 24 Jun 2022, 05:50 PM

highlights

  • एसीबी ने गजेंद्र सिंह शेखावत को दिल्ली में कोर्ट का नोटिस तामील करवाया है
  • मुख्य सचेतक महेश जोशी ने स्पेशल आप्रेशन ग्रुप (SOG) में शिकायत दर्ज की

नई दिल्ली:

राजस्थान की एक अदालत ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Minister Gajendra Singh Shekhawat) को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की जांच में सहयोग का नोटिस तामील करवाया है. ACB केन्द्रीय मंत्री शेखावत का वाईस सेंपल लेकर विधायकों की कथित खरीद फरोख्त मामले में उसकी भूमिका की जांच करना चाहती हैं. यह मामला राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने दर्ज करवाया था, जो की अब शेखावत से जांच की उम्मीद कर रहे हैं. यह पूरा मामला उस समय का है जब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर 2 साल पहले राजनितिक संकट छाया था और गजेन्द्र सिंह पर इसका सूत्रधार होने का आरोप लगाते हुए, सूबे के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने ACB और स्पेशल आप्रेशन ग्रुप (SOG) में शिकायत दर्ज करायी थी.

शेखवात को नोटिस देने की कोशिश

राहुल गांधी से लगातार हो रही प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ के बीच राजस्थान की भ्रष्टाचार निदेशक ब्यूरो( एसीबी) ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को दिल्ली में कोर्ट का नोटिस तामील करवाया है.हालांकि पहले ही राजस्थान पुलिस दिल्ली जाकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखवात को नोटिस देने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन वे कभी उपलब्ध  ही नहीं हुए थे. ऐसे में ACB ने फिर से वायस सेंपल लेने के लिए नोटिस तामिल करवाने की जयपुर कि अदालत से अपील की.अब मामले को ACB तक ले जाने वाले मंत्री महेश जोशी ने भी 2 साल पहेल दर्ज इस मामले में अब नोटिस तामिल कराने का स्वागत करते हुए ना केवल भाजपा पर एक बार फिर से विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया. बल्कि यह भी उम्मीद जताई की अब केन्द्रीय मंत्री जांच एजेंसियों को सहयोग करने आगे आएंगे.

संभावित हॉर्स ट्रेडिंग का संदेश था

केबिनेट मंत्री और शिकायतकर्ता महेश जोशी ने बताया कि यह दो साल पुराना मामला है लेकिन किन्ही कारणों से उस पर कारवाई  आगे नहीं बढ़ सकी. एसीबी में मामला दर्ज कराना हमारा आधिकार था क्योंकि हमने संभावित हॉर्स ट्रेडिंग का सन्देश था. इसी तरह राज्यसभा चुनावों में भी हमें यही शक था जिसे की अब बीजेपी ने महाराष्ट्र में साबित भी कर दिया है. विधायकों की खरीद फरोख्त उसके लिए राजनीती में मानों स्थायी हथियार बन गयी है. जहां सफल नहीं होते वहां अपने आप को पाक साफ़ साबित करने लगते हैं. कोर्ट का आदेश अब आ गया है तो उम्मीद करता हूं की कानून पसंद के रूप में केन्द्रीय मंत्री आगे बढ़ेंगे.

दरअसल मामला साल 2020 का है, जब विधायकों की खरीद-फरोख़्त के मामले को लेकर राजस्थान के सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज करवाया था. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ उस समय उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत कई विधायकों ने बगावत की थी. इसी दौरान कुछ ऑडियो टेप वायरल हुए थे, जिनमें कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की आवाज होने की बात कही गई थी. 

वायस सैम्पल की अनुमति मांगी थी

कांग्रेस सचेतक महेश जोशी की शिकायत पर एसीबी ने करीबी एक साल पहले जयपुर महानगर की अधीनस्थ न्यायालय से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह का वायस सैम्पल की अनुमति मांगी थी. जिसे पहले खारिज कर दिया गया लेकिन इस मामले के आरोपी संजय जैन के वायरल आडियो में केंद्रीय मंत्री शेखावत की आवाज की बात सामने आने के बाद रिवीज़न प्रार्थना पत्र पर अब नोटिस तामील की अनुमति मिल गयी है. हालांकि भाजपा ने टाईमिंग  को लेकर सवाल तो उठाया है, लेकिन इस मामले में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने भी केन्द्रीय मंत्री शेखावत को जांच में सहयोग और अदालत के आदेश की पालना का सुझाव दिया है.

गुलाब चंद कटारिया, प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि यह आदेश यदि प्रसाशनिक अधिकारी की तरफ से आता तो इस पर सवाल उठाया जा  सकता था लेकिन अदालत की तरफ से आया है. गजेन्द्र सिंह को अदालत के आदेश की पालना करनी चाहिए क्योंकि जांच के बाद ही किसी भी मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है. 

वैसे इस पुरे मामले में नोटिस की टाईमिंग को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले ही सीएम अशोक गहलोत के भाई के जोधपुर आवास पर CBI जाँच को लेकर बवाल मचा था. ऐसे में अब केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह ACB के नोटिस से साफ है की आने वाले दिनों में केंद्र और राज्य सरकार के बीच इस मुद्दे को लेकर जहां टकराव बन सकता है, वहीं दोनों सरकारों पर जांच एजेंसियों के दुरूपयोग का मुद्दा भी उछला जाएगा.