देश में ट्रैफिक नियम तोड़ने पर रविवार से भले ही संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट के कड़े प्रावधान लागू हो जाएं, लेकिन प्रदेश में अभी लागू नहीं हो पाएंगे. केंद्र के इस एक्ट को प्रदेश के परिवहन विभाग ने अभी लागू करने से मना कर दिया है. परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का तर्क है कि दुर्घटना रोकना सरकार का मकसद है, लेकिन भारी जुर्माना बढ़ने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा. हालांकि अब संशोधन के साथ नए व्हिकल एक्ट को राजस्थान में लागू करने की तैयारी में है.
नए मोटर व्हीकल एक्ट को प्रदेश में लागू करने को लेकर चल रहे विवाद पर अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दखल दी है. सीएम गहलोत ने परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और परिवहन विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ मोटर वाहन अधिनियम में संशोधनों के संबंध में एक उच्चस्तरीय बैठक की. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि शुरूआत में प्रदेश सरकार यातायात उल्लंघन के नियमों के तहत आने वाले 33 विषयों में से 17 की प्रशमन राशि (कम्पाउंडिंग फीस) कम रखेगी. 16 गंभीर प्रकृति के अपराधों में कोई छूट नहीं है.
केंद्र के संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कहा- एक्ट को लेकर केन्द्र सरकार से किसी तरह का टकराव नहीं है. एक्ट को लागू होने से नहीं रोक सकते, परंतु इसमें शामिल जुर्माना राशि को कम करने का सरकार के पास अधिकार है. इसके तहत भारी जुर्माना राशि में कुछ हद तक कमी की जाएगी. राशि कितनी कम करते हैं यह सोमवार को समीक्षा बैठक में पता चल सकेगा. खाचरियावास ने कहा कि सरकार का भी पहला मकसद सड़क दुर्घटनाओं को रोकना है. दूसरा भ्रष्टाचार नहीं हो. एक्ट में ऐसे प्रावधान नहीं होने चाहिए जो लोगों में दहशत पैदा करें. आर्थिक मंदी को दौर में केंद्र सरकार लेने का ही काम कर रही है. देने का भी काम करे. लोगों को अपील है कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें.
मंत्री ने खतरनाक ड्राइविंग और शराब पीकर वाहन चलाने, बिना इंश्योरेंस के वाहन चलाने, ओवर स्पीड पर लगने वाले जुर्माना राशि को सही बताया. बोले- शराब पीकर वाहन चलाने वाले पर इतना जुर्माना हो कि वो गाड़ी नहीं छुड़वा सके. इनकी वजह से ही सबसे अधिक दुर्घटना हो रही है. ऐसे चालकों और एंबुलेंस को रास्ता नहीं देने पर 10 हजार जुर्माना ठीक है. खतरनाक ड्राइविंग करने पर 5000 का जुर्माना भी सही है. सीट बैल्ट लगाए बिना, बिना ड्राइविंग ड्राइविंग, लाइसेंस रद्द होने पर ड्राइविंग करने वाले तथा वाहन चलाते वक्त मोबाइल पर बात करने वालों पर कार्रवाई में कुछ शिथिलता बरतने की मंशा मंत्री खाचरियावास ने जताई है.
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नाबालिग के वाहन चलाने पर भी कड़े दंड को उचित नहीं बताते. वे बोले- कहीं-कहीं तो यह जुर्माना वाहन की कीमत से भी अधिक है. लोग वाहन छोड़कर चले जाएंगे. आर्थिक मंदी में ई-रिक्शा वाला चलाने वाले के पास बीमा के 30 हजार रुपए जुटाना बड़ी चुनौती है. ऐसे प्रावधान बदलने जरूरी हैं. राजस्थान ही नहीं बल्कि कांग्रेस शासित अन्य राज्यों में भी जुर्माना राशि को लागू नहीं किया है. राजनीति अपनी जगह, लेकिन जीवन बचाने वाले मामलों में तो सियायत नहीं ही होनी चाहिए. ट्रैफिक नियम मानने वालों पर किसी तरह का जुर्माना नहीं होना है ना ही अन्य कोई कार्रवाई. तमाम कड़े प्रावधान सिर्फ उन वाहन चालकों के लिए हैं, जो नियम नहीं मानते. सड़क सुरक्षा के लिए नियम मानना जरूरी है.
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HIGHLIGHTS
- राजस्थान सरकार ने नहीं लागू किया नया ट्रैफिक नियम
- परिवहन मंत्री ने कहा इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा
- ई-रिक्शा चालक मंदी में कैसे भरेगा 30 हजार का चालान?
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो