पंजाब चुनाव में धार्मिक डेरों और संतों का क्या असर होगा

पंजाब चुनाव में धार्मिक डेरों और संतों का क्या असर होगा। क्या वाकई डेरों के जरिए वोट तय होते हैं।

पंजाब चुनाव में धार्मिक डेरों और संतों का क्या असर होगा। क्या वाकई डेरों के जरिए वोट तय होते हैं।

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Arib Mehar
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पंजाब चुनाव में धार्मिक डेरों और संतों का क्या असर होगा

स्रोत: गेटी इमेजेज

पंजाब-हरियाणा जैसे राज्यों में चुनावों में धार्मिक डेरों और संतों का काफी असर रहता है। यही वजह है कि चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियां इन धार्मिक डेरों के धर्मगुरुओं की शरण में पहुंच जाती है और हर पार्टी की कोशिश होती है कि इन डेरों के अनुयायियों के वोट अपने पक्ष में किस तरह हथिया लिया जाए। डेरों पर तमाम पार्टियां डोरे डालने शुरु कर देती है और तब डेरे भी अपने फायदे के हिसाब से राजनीतिक पार्टियों को अपरोक्ष रुप से समर्थन देते है।

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पिछले हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को डेरा सच्चा सौदा से मिला खुला समर्थन राज्य में पार्टी की बड़ी जीत के पीछे का अहम फैक्टर माना जाता है। और शायद इसी वजह से पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तमाम राजनीतिक पार्टियां फिर से डेरों की शरण में जाने की तैयारी कर रही है। अकाली दल-बीजेपी हो, कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी सब को डेरों से समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं। पंजाब में कई बड़े डेरे है और इन डेरों के पास बड़ा आधार भी है और वोट वैंक भी है। पंजाब में इस वक्त कई डेरे सक्रिय है और इन डेरों पर अक्सर राजनेताओं को नतमस्तक होते हुए देखा जा सकता है।

पंजाब के मालवा इलाके के भटिंडा, मुक्तसर, अबोहर, मानसा, संगरुर, फिरोजपुर और मोगा जैसे जिलों में लाखों अनुयायी पाए जाते हैं। कई बीजेपी नेताओं को डेरामुखी गुरमीत राम रहीम के सामने नतमस्तक होते देखा गया। पंजाब के दोआबा इलाके के जालंधर, होशियारपुर, नवांशहर और कपूरथला जैसे जिलों में लाखों अनुयायी हैं।
पंजाब के डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल से लेकर अरविंद केजरीवाल तक हो चुके है इनके नतमस्तक हो चुके हैं। डेरे का दावा है कि वो राजनीति से दूर है लेकिन अक्सर राजनेताओं को डेरे के कार्यक्रमों में देखा गया है।

कुछ महीने पहले संत रंजीत सिंह ढ़डरियांवाले पर हुए जानलेवा हमले के बाद अरविंद केजरीवाल दिल्ली से चलकर संत ढ़डरियांवाले के डेरे पर आये और पंजाब के डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल से लेकर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरेन्द्र और बीजेपी पंजाब अध्यक्ष विजय सांपला भी डेरे पर देखे गये।
पंजाब के तमाम राजनीतिक दल डेरों से समर्थन लेने के मसले पर खुलकर तो कुछ भी नहीं बोल रहे लेकिन तमाम राजनीतिक पार्टियां मानती है कि डेरे समाज का अहम हिस्सा है और डेरों पर राजनेताओं को जाना ही पड़ेगा। डेरों से परहेज करने का कोई मतलब नहीं है।

पंजाब सरकार के मंत्री और अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि "डेरे पर भी जाना जरुरी होता है। हमारे सीएम तो वैसे भी संगत दर्शन यानि जनता के बीच में जाने में विश्वाश रखते है। और डेरे भी हमारे समाज का ही हिस्सा है और इनके पास जाने में डरना किस बात का"

Source : News Nation Bureau

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