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पंजाब समेत 4 राज्यों पर गहरा सकता बिजली संकट, जानें क्या हैं कारण?

गर्मी आते ही कई राज्यों में बिजली का संकट मंडराने लगा है. पंजाब समेत, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.

Updated on: 23 Apr 2022, 08:35 PM

highlights

  •  बीते साल भी कई राज्यों ने ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति पर चिंता व्यक्त की गई थी
  • उच्च कीमतों पर कोयले के आयात से बिजली सप्लाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है

नई दिल्ली:

गर्मी आते ही कई राज्यों में बिजली का संकट (Energy Crisis)  मंडराने लगा है. पंजाब समेत, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) , हरियाणा (Haryana), महाराष्ट्र (Maharashtra)  और आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh)  में लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारें समस्या के समाधान के लिए कदम उठा रही हैं. यह कोई असामान्य स्थिति नहीं है. बीते साल भी कई राज्यों ने ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति पर चिंता व्यक्त की गई थी. मौजूदा संकट में पूरी जानकारी लेने के लिए मांग और आपूर्ति दोनों कारकों को तय किया जा सकता है. बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है. महामारी के बढ़ने से आर्थिक सुधार को गति पकड़ रही है. मांग लगातार और बढ़ने की संभावना बनी हुई है. आपूर्ति पक्ष पर, ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले का निम्न स्तर चिंता का विषय है.

कोयला स्टॉक की कमी

नोमुरा की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल के मध्य में बिजली संयंत्रों के पास मात्र नौ दिनों के कोयले का स्टॉक था. ये बीते कुछ वर्षों में उनके द्वारा रखे गए औसत स्टॉक से काफी कम था. दरअसल देश भर में ताप विद्युत संयंत्रों का  एक बड़ा वर्ग वर्तमान में स्टॉक के निम्न स्तर पर है. विश्लेषकों के अनुसार, ‘कारकों के  संयोजन के कारण हैं- विशेष रूप से थर्मल पावर प्लांट तक कोयले को ले जाने के लिए रेलवे रेक की कम उपलब्धता, और उच्च कीमतों पर कोयले के आयात से बिजली सप्लाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

कोयले की कीमतों में तेज उछाल

अंतरराष्ट्रीय कोयले की कीमतों में तेज उछाल के साथ, जब तक समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं होता है, तब तक भारतीय थर्मल प्लांट्स ने आयातित कोयले पर आधारित 16.6 गीगावाट ताप विद्युत उत्पादन क्षमता में से 6.7 गीगावाट या लगभग 40 प्रतिशत की कटौती की है.