Punjab Parali Burning: जहरीली हवा से सांस संबंधी बीमारियां तेजी से फैलने लगती हैं. यही वजह है कि कई राज्यों ने पराली जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है.
Punjab Parali Burning: उत्तर भारत में हर साल शरद ऋतु शुरू होने से पहले पराली जलाने की समस्या सामने आती है. खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में किसान फसल कटाई के बाद खेत खाली करने के लिए पराली यानी फसल का बचा हिस्सा जला देते हैं. यह तरीका किसानों के लिए आसान और सस्ता होता है, लेकिन इसका असर पर्यावरण और लोगों की सेहत पर बेहद खतरनाक पड़ता है. जहरीली हवा से सांस संबंधी बीमारियां तेजी से फैलने लगती हैं. यही वजह है कि कई राज्यों ने पराली जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है.
पंजाब में दर्ज हुए नए मामले
पाबंदी के बावजूद रविवार को पंजाब में पराली जलाने के 8 नए मामले सामने आए. इस सीजन में अब तक सबसे ज्यादा मामले अमृतसर से (51 मामले) दर्ज हुए हैं. प्रशासन ने अब तक 47 मामलों में कार्रवाई करते हुए किसानों पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया है. वहीं, 49 मामलों में भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. इसके अलावा 32 किसानों के जमीन रिकॉर्ड में रेड एंट्री कर दी गई है. इसका मतलब है कि अब वे किसान अपनी जमीन न तो बेच सकेंगे, न गिरवी रख पाएंगे और न ही उस पर लोन ले पाएंगे.
सेटेलाइट से निगरानी
पंजाब सरकार पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तकनीक का सहारा भी ले रही है. कंट्रोल रूम के अधिकारियों के अनुसार, सेटेलाइट के जरिए खेतों में आग लगने की घटनाओं की निगरानी की जा रही है. सेंसर आग और धुएं का तुरंत पता लगाते हैं और यह डाटा अधिकारियों तक पहुंचता है. इसके बाद नोडल और क्लस्टर अधिकारी मौके पर टीम भेजते हैं, जो किसानों को पराली न जलाने की सलाह देती है और विकल्प अपनाने के लिए जागरूक करती है.
किसानों में बढ़ रही जागरूकता
अधिकारियों का कहना है कि लगातार प्रयासों से किसानों में जागरूकता बढ़ रही है. कई किसान अब मशीनों और सरकार द्वारा दिए गए विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ किसान खुद आगे आकर बता रहे हैं कि पराली जलाना पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. सरकार ऐसे किसानों को सम्मानित भी करती है, ताकि दूसरों को प्रेरणा मिल सके.
चुनौती अब भी बरकरार
हालांकि सरकार जुर्माना, एफआईआर, रेड एंट्री और सेटेलाइट निगरानी जैसे कड़े कदम उठा रही है, लेकिन सस्ता और आसान तरीका होने के कारण कई किसान अभी भी पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे. जब तक किसान पूरी तरह जागरूक होकर इस प्रथा को नहीं छोड़ेंगे, तब तक यह समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हो पाएगी.
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