पंजाब : 'काली दिवाली' मनाकर विरोध जताएंगे किसान

मुख्यमंत्री ने इसे रचनात्मक विकास करार देते हुए कहा कि बैठक में पहली बार दोनों पक्षों को खुले वातावरण में बात करने का मौका मिला और उम्मीद है कि यह इस मुद्दे पर गतिरोध को तोड़ने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

मुख्यमंत्री ने इसे रचनात्मक विकास करार देते हुए कहा कि बैठक में पहली बार दोनों पक्षों को खुले वातावरण में बात करने का मौका मिला और उम्मीद है कि यह इस मुद्दे पर गतिरोध को तोड़ने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

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Ravindra Singh
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पंजाब किसानों का प्रदर्शन( Photo Credit : आईएएनएस)

केंद्र और पंजाब की किसान यूनियनों के बीच जारी गतिरोध के बीच, प्रदर्शनकारी किसानों ने शनिवार को 'काले' कृषि कानूनों के खिलाफ 'काली दिवाली' मनाने की घोषणा की है. दिल्ली में शुक्रवार को हुई उनकी दिन भर की वार्ता बिना किसी निर्णय के समाप्त हुई थी. बीकेयू एकता (दकौंडा) के एक बयान में कहा गया, "हम दिवाली की रात को अपने संघर्ष को प्रदर्शित करने के लिए मशाल जलाएंगे."

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पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उस सकारात्मक भावना का स्वागत किया, जिसमें किसान यूनियनों और केंद्र ने शुक्रवार को कृषि कानूनों और अन्य संबंधित मुद्दों पर चर्चा की. मुख्यमंत्री ने इसे रचनात्मक विकास करार देते हुए कहा कि बैठक में पहली बार दोनों पक्षों को खुले वातावरण में बात करने का मौका मिला और उम्मीद है कि यह इस मुद्दे पर गतिरोध को तोड़ने का मार्ग प्रशस्त करेगा. 

उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि दोनों पक्षों ने एक मेज पर आकर समाधान खोजने के लिए सहमति व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की है कि 21 नवंबर को केंद्र सरकार के साथ एक और बैठक से पहले, 18 नवंबर को किसान यूनियनों की आंतरिक चर्चा, शुक्रवार की व्यापक चचरओ में उठाए गए विभिन्न बिंदुओं के ठोस तरीकों और साधनों की पहचान करने में मदद करेगी.

सिंह ने कहा कि पंजाब को कोविड-19 महामारी के कारण भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है और केंद्रीय कृषि कानूनों से उत्पन्न मौजूदा संकट से भी राज्य की आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है. उन्होंने मामले के तत्काल समाधान पर जोर देते हुए कहा कि जल्दी समाधान होना ही सभी के हित में है.

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