Punjab Farmers Protest: पंजाब में संयुक्त किसान मोर्चा बुधवार को चंडीगढ़ आंदोलन के लिए कूच के लिए निकल पड़ा है. वहीं दूसरी ओर प्रशासन भी एक्टिव मोड पर है, जिसके तहत चंडीगढ़ के सभी एंट्री पाइंट बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा पुलिस ने शहर में प्रवेश करने वाले वाहनों के लिए यातायात डायवर्जन लागू किया है, जिस वजह से जीरकपुर-चंडीगढ़ मार्ग पर भीषण जाम लग हुआ है. कई जगहों पर पुलिस वाहनों की चेकिंग भी कर रही है. बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ पहुंचने से पहले पुलिस ने किसानों को रोककर प्रदर्शन से पहले ही कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया है.
क्या है चंडीगढ़ का हाल
पूरा मामला किसान नीति लागू करने और 6 फसलों पर MSP की मांग का है. किसान संगठन पूरे पंजाब में मान सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट पर उतरे हैं. वहीं, सरकार ने किसानों के आंदोलन को रोकने का पूरा इंतजाम कर रखे हैं. पुलिस ने चंडीगढ़ में एंट्री करने वाले 12 पॉइंट्स पर रूट डायवर्ट कर दियें हैं. चंडीगढ़ के अंदर और तमाम बॉर्डरों पर करीब 2500 पुलिसकर्मी और सीनियर अफसरों की तैनाती की गई है.
हालांकि, डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर का कहना है कि पंजाब पूरी तरह से शांत है. यहां किसान जहां भी आए हैं, उस क्षेत्र की पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया है. वे वहां शांतिपूर्वक बैठे हैं. पूरे पंजाब में यातायात की स्थिति भी सामान्य बनी हुई है. उन्हें किसी भी कीमत पर चंडीगढ़ नहीं आने दिया जाएगा. हमारे पास कड़ी सुरक्षा मौजूद है. साथ ही पंजाब और चंडीगढ़ पुलिस के बीच अच्छा समन्वय भी है.
अन्य जिलों के क्या हैं हाल
बता दें कि समराला-चंडीगढ़ रोड पर भी भारी पुलिसबल तैनात है. यहां बड़ी संख्या में किसानों को हिरासत में ले लिया गया. इसके अलावा, संगरूर, तरनतारन, अमृतसर और अन्य जिलों में भी किसान प्रदर्शन पर उतरे हैं. यहां अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास ही सैकड़ों किसानों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ नारेबाजी की और उनके पुतले फूंके.
सीएम के गृह जिले में कड़ी व्यवस्था
प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. राज्य सरकार की ओर से आसपास के जिलों से भी अतिरिक्त फोर्स मंगाई गई है ताकि किसानों को चंडीगढ़ में घुसने से रोका जा सके. फतेहगढ़ जिले के सरहिंद और आसपास के इलाकों में भी पुलिस की भारी संख्या में तैनाती की गई है.
इसलिए हो रहा आंदोलन
किसान संगठनों के इस आंदोलन के पीछे का कारण उनकी प्रमुख मांगें हैं. उनका कहना है कि भूमि अधिग्रहण का मुआवजा बढ़ाया जाए, भूमिहीन मजदूरों को जमीन आवंटित की जाए. इसके अलावा किसानों एवं मजदूरों के ऊपर कर्ज को माफ किया जाए. हालांकि, ये पहली बार नहीं है, बल्कि इससे पहले भी किसान केंद्र सरकार के खिलाफ कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. कई मौकों पर किसानों ने दिल्ली कूच करने के प्रयास किये थे, लेकिन उन्हें हरियाणा और पंजाब की सीमा पर शंभू और टिकरी बॉर्डर पर रोक लिया गया था.