भारत ने जब अंग्रेजों के काले शासन से छूटकर नई सुबह में चलना शुरू किया तो उसी वर्ष पंजाब की राजनीति में एक ऐसे नेता का उदय हुआ जिसकी छटा आज भी निखर रही है। बात हो रही है देश के सबसे अधिक उम्र के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की। लेकिन चुनावों के परिणाम बता रहे हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रकाश सिंह बादल का ये संभवत: अंतिम चुनाव है।
प्रकाश सिंह बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी गठबंधन पंजाब में तीसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है। आम आदमी पार्टी पंजाब में दूसरे नंबर पर है जबकि 10 से सत्ता से दूर कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है।
90 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल लांबी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। जहां उन्हें कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह व आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह कड़ी चुनौती दे रहे थे। हालांकि प्रकाश सिंह बादल ने जीत हासिल कर ली। लांबी विधानसभा की सीट बठिंडा संसदीय क्षेत्र में आती है जहां से प्रकाश सिंह बादल की बहू और सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल सांसद हैं।
बादल लांबी सीट से पिछले पांच बार से विधायक हैं। लेकिन उनके लिए 70 साल के राजनीतिक करियर का सबसे कठिन मुकाबला रहा है। बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (शिअद)-बीजेपी गठबंधन पंजाब में लगातार तीसरी बार वापसी के आस में थी। लेकिन पहली बार विधानसभा चुनाव में हाथ आजमा रही आम आदमी पार्टी और मुख्य विपक्षी दल गठबंधन को कड़ी चुनौती दी।
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देश के सबसे अधिक उम्र के मुख्यमंत्री बादल की भाग-दौड़ अभी भी देखने लायक है। उनका जन्म 8 दिसम्बर 1927 को पंजाब के गांव अबुल खुराना में हुआ था। आजादी के साल 1947 में महज 20 साल की उम्र में बाद सरपंच का चुनाव जीतकर राजनीति के मैदान में आ गए। इसके बाद 1957 और 1969 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा में पहुंचे। वह पहली बार 1970-71 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
कांग्रेस से राज्य की राजनीति में कदम रखने वाले बादल ने बाद में अलग राह पकड़ ली और शिरोमणि अकाली दल के साथ आ गए। 1970-71 के बाद, 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और फिर 2012 से अभी तक मुख्यमंत्री रहे। बादल पांच बार पंजाब के सीएम बनने वाले वो इकलौते नेता है। पद्म पुरस्कार से सम्मानित बादल ज्यादा पंजाब की राजनीति में ही सक्रिय रहे। हालांकि 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार में वो केंद्र में भी कुछ समय के लिए मंत्री रहे हैं।
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बड़े बादल के नाम से मशहूर प्रकाश सिंह बादल 1995 से 2008 तक शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष भी रहे। अब उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल अध्यक्ष हैं। आसार थे कि शिरोमणि अकाली दल की सत्ता वापसी पर सुखबीर की बतौर मुख्यमंत्री ताजपोशी होती। सत्ता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलती। लेकिन हार ने मुख्य विपक्षी बनने लायक भी नहीं छोड़ा। सुखबीर पंजाब के निवर्तमान उप मुख्यमंत्री हैं।
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दरअसल बढ़ती उम्र और पुत्र मोह में बड़े बादल छोटे बादल (सुखबीर सिंह बादल) को अपनी विरासत सौंप सकते हैं। लेकिन सुखबीर सिंह बादल के प्रति विपक्षी दलों का रूख उनके लिए रूकावट बना।
सुखबीर सिंह बादल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता रहा है। मोगा कांड के बाद उनके ऊपर ट्रांसपोर्ट के बिजनेस को लेकर सियासी हमले हुए थे। वहीं सुखबीर सिंह बादल के साले बिक्रम सिंह मजीठिया का ड्रग्स कनेक्शन भी विपक्षी दलों का मुख्य चुनावी मुद्दा है। कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी दोनो ने ड्रग्स को मुख्य मुद्दा बनाते हुए बादल सरकार के मिलीभगत के आरोप लगाये हैं।
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प्रकाश सिंह बादल ने पूरे राजनीतिक जीवन में करीब 17 साल जेल में बिताए। बादल ने पंजाब, पंजाबियत और पंजाबियों का नारा बुलंद करते हुए कई दफा सफलता के झंडे गाड़े। लेकिन सबसे बड़ा सवाल पंजाब की सियासी हवाओं में घूम रहा था कि क्या 90 साल के बुजर्ग लेकिन हौसले से जवान प्रकाश सिंह बादल को 2017 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पंजाब की जनता मुख्यमंत्री चुनेगी? लेकिन जनता के फैसले ने मुख्य विपक्षी दल बनने लायक भी नहीं छोड़ा है।
Source : Jeevan Prakash