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कृषि बिल का विरोध: हरसिमरत कौर का इस्तीफा कांग्रेस को लगा 'नाटक', उठाए ये सवाल

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे को एक मजबूरी बताया है.

Updated on: 18 Sep 2020, 12:32 PM

चंडीगढ़:

संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session) में लाए गए कृषि से जुड़े तीन बिल से पंजाब में सियासी बवाल मच गया है. इन अध्यादेशों को किसान विरोधी बताते हुए शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) कोटे से मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. तो पंजाब की सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress) ने इस इस्तीफा पर सवाल खड़े किए हैं. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) ने हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे को एक मजबूरी बताया है.

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पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है, 'यह एक मजबूरी थी, यह किसानों के लिए किसी भी प्रेम से बाहर नहीं थी. 4 महीने तक उन्होंने किसानों को मूर्ख बनाने की कोशिश की, लेकिन खुद को हंसी का पात्र बना लिया. मुझे लगता है कि लोगों ने इसे देखा है.' सुनील जाखड़ ने आगे कहा, 'इस प्रक्रिया में, उन्होंने एनडीए में अपना सम्मान भी खो दिया. संक्षेप में क्योंकि किसानों से उनका कोई वास्ता नहीं है, मोदी जी ने उन्हें डंप करना ठीक समझा. क्योंकि किसानों के समर्थन के बिना शिरोमणि अकाली दल उनके लिए बोझ नहीं है.'

इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को अकाली दल के नाटकों की एक कड़ी बताया. उन्होंने कहा कि अकाली दल ने अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन को नहीं छोड़ा है. हरसिमरत का इस्तीफा किसानों की चिंता के लिए नहीं है, बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसिमरत का इस्तीफा पंजाब के किसानों के साथ खिलवाड़ करने से ज्यादा कुछ नहीं है. ये इस्तीफा राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए है.

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बता दें कि किसानों से संबंधित तीन अध्यादेशों को लेकर पंजाब के किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है. बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली भी इन बिलों के खिलाफ है. हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा भी इसी कड़ी का हिस्सा है. अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल इन अध्यादेशों के खिलाफ मुखर हैं. उन्होंने इस पर चर्चा में कहा था कि इस कानून को लेकर पंजाब के किसानों, आढ़तियों और व्यापारियों के बीच बहुत शंकाएं हैं, इसलिए सरकार को इस विधेयक और अध्यादेश को वापस लेना चाहिए.