पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ है और दावा किया कि 1930 के दशक में एडोल्फ हिटलर ने जो जर्मनी में किया था वैसी ही कार्रवाई अब देश में हो रही है. संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कैप्टन ने इस कानून को विभाजनकारी तथा प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी को हादसा करार दिया. उन्होंने कहा कि उनके लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में जो घटनाएं हो रही हैं वह उनके जीवनकाल में हो रही हैं.
पंजाब विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को कहा कि केरल की तरह उनकी सरकार भी इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय जाएगी. उन्होंने कहा कि पंजाब और विपक्ष शासित अन्य राज्यों में लागू करने के लिए केंद्र को सीएए में आवश्यक संशोधन लाने ही पड़ेंगे.
यह भी पढ़ेंः अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी और राज्यपाल पर साधा निशाना, कहा- दोनों सर्कस के जोकर
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने संवाददाताओं से अनौपचारिक वार्ता में कहा कि केरल की तरह पंजाब भी इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का रूख करेगा. एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पंजाब में जनगणना 2021 पुराने पैमानों पर ही होगी. उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा जोड़े गए नए घटकों को इस जनगणना में शामिल नहीं किया जाएगा. संसदीय कार्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को तीन घंटे की चर्चा के बाद पारित किया गया.
यह भी पढ़ेंःचंद्रशेखर बोले- राजनीतिक पार्टी पर फैसला बाद में, फिलहाल ‘काले कानून’ के खिलाफ लड़ाई लड़नी है...
मुख्यमंत्री कैप्टन ने आगे कहा कि आप इस देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को बदलना चाहते हैं. जो हो रहा है, वह बेहद दुखद है. हमने भी ऐसा कुछ नहीं सोचा था । हम केवल राजनीति के लिए भाईचारे को तोड़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि इतिहास से हमने कुछ भी नहीं सीखा है. पंजाब विधानसभा ने शुक्रवार को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित किया और केंद्र से इसे वापस लेने की मांग की.
इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का काम तब तक रोकने का आग्रह किया है, जब तक कि इससे जुड़े प्रपत्रों या दस्तावेजों को उचित रूप से संशोधित नहीं किया जाता है, ताकि इस आशंका को दूर किया जा सके कि यह राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का पहला चरण है और भारत की नागरिकता से एक वर्ग को वंचित करने तथा संशोधित नागरिकता कानून लागू करने के लिए बनाया गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री ने भावुक स्वर में कहा कि गरीब कहां जाएंगे और कहां से वह अपना जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगे.
यह एक बड़ा हादसा है. और बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि मेरे जीवनकाल में. काश मैं यहां नहीं होता जब यह सब मेरे देश में हो रहा है. राजनीति के लिए जब भाईचारे को समाप्त किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में हम कहां जा रहे हैं ?. उन्होंने दावा किया कि 1930 के दशक में हिटलर के जर्मनी में जातीय सफाये के लिए जो किया गया था, अब वही घटनाएं भारत में हो रही हैं.
कैप्टन ने जोर देकर कहा कि जर्मन नागरिकों ने उस वक्त आवाज नहीं उठाई और इसका उन्होंने अफसोस किया, लेकिन हमें अब बोलना है, ताकि हम बाद में अफसोस नहीं करें. मुख्यमंत्री ने विपक्ष, विशेष रूप से अकालियों से अपील की कि वे हिटलर की किताब मेन कैम्प्फ (मेरी लड़ाई) पढ़ें, ताकि उन्हें सीएए के खतरें समझ आ सकें.
उन्होंने कहा कि वह पंजाबी में इस पुस्तक का अनुवाद कराएंगे और बांटेंगे ताकि सब लोग उसे पढ़ें और हिटलर ने जो गलतियां की थीं, उसे समझें. संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हालिया देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए कैप्टन ने कहा कि भारत में जो हो रहा है वह देश के लिए ठीक नहीं है.
Source : News Nation Bureau