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पंजाब: CM मान ने औद्योगिक और व्यापार विकास नीति-2022 के प्रस्ताव को दी मंजूरी

मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) ने यह भी कहा कि प्रस्तावित नीति में मौजूदा इकाईयों का पुनर्गठन करने और मिशन एवं उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संवैधानिक शक्तियों के द्वारा उनको समर्थ करने, नीति...

Updated on: 12 Sep 2022, 01:57 PM

highlights

पंजाब में नई औद्योगिक नीति को मंजूरी

15 दिनों के भीतर सरकार ने मंगाए सुझाव

 

चंडीगढ़:

पंजाब राज्य को प्रगतिशील, नवीनतम और टिकाऊ औद्योगिक एवं कारोबारी वातावरण प्रणाली के द्वारा व्यापार के लिए सबसे पसंदीदा स्थान के तौर पर उभारने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) ने 'औद्योगिक और व्यापार विकास नीति-2022' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग को वेबसाईट www.pbindustries.gov.in पर यह नीति अपलोड करके औद्योगिक भाईचारे के सुझाव मांगने के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि पॉलिसी सम्बन्धी सुझाव suggestions.ind@punjab.gov.in पर ई-मेल के द्वारा भेजे जा सकते हैं और पोर्टल पर भी डाले जा सकते हैं. भगवंत मान ने कहा कि औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ नौजवानों को रोजग़ार मुहैया करवाने के मद्देनजऱ नीति के प्रस्ताव को हर पहलू से विचार कर तैयार किया गया है.

पंजाब सरकार करेगी मदद

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नीति का मकसद औद्योगिक विकास एवं रोजग़ार के अवसर सृजन करने में तेज़ी लाकर पंजाब को निवेश के लिए पसंदीदा स्थान के तौर पर उभारना है. उन्होंने आगे कहा कि यह नीति स्टार्टअप के विकास की गति में भी तेज़ी लाएगी और नवीनतम, मुकाबलेबाज़ी में सुधार और सामथ्र्य को बढ़ाकर उद्यमिता को बढ़ावा देगी. भगवंत मान ने कहा कि यह नीति सूक्ष्म, छोटे और दरमियान उद्योगों के विकास की रफ़्तार में भी तेज़ी लाएगी और उद्योग के लिए गुणवत्ता और किफ़ायती बिजली समेत विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह नीति उद्योग को कुशल मानव संसाधन मुहैया करवाने की सुविधा देगी, 'ग्लोबल वैल्यू चैन' को आगे बढ़ाने के मौके पैदा करेगी और वैश्विक स्तर पर पहुंचने के लिए राज्य के प्रोग्रामों और केंद्रीय स्कीमों के बीच तालमेल पैदा करेगी. उन्होंने कहा कि यह सर्कुलर और टिकाऊ अर्थव्यवस्था (ऐसी अर्थव्यवस्था जिसका उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं को टिकाऊ तरीके से पैदा करना, संसाधनों (कच्चे माल, पानी, ऊर्जा) के उपभोग और बर्बादी के साथ-साथ अवशेष के उत्पादन को सीमित करना) और रुपए को आकर्षित करने में मददगार साबित होगी. यह नीति पांच सालों में 5 लाख करोड़ का निवेश, जी.एस.डी.पी. में सेकंडरी सैक्टर का हिस्सा बढ़ाकर 30 प्रतिशत और तीसरे क्षेत्र का 62 प्रतिशत करने और कौशल के ज़रिये नौजवानों की रोजग़ार योग्यता को बढ़ाने और राज्य में रोजग़ार के मौके बढ़ाने में भी सहायक होगी.

राज्य में 15 औद्योगिक पार्क किए जाएंगे विकसित

भगवंत मान ने कहा कि यह नीति राज्य में कम से कम 15 औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए भी अपेक्षित सुविधा देगी, निर्माण और सेवा उद्योग के अलग-अलग सैक्टरों में कम से कम एक 'एंकर यूनिट' को आकर्षित करेगी, उद्योगों को 5 सालों के लिए किफ़ायती और स्थिर दरों पर बिजली मुहैया करवाएगी और सभी औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करेगी, जिससे निर्विघ्न बिजली सप्लाई यकीनी बनाई जा सके. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि नीति के मसौदे में डिजिटल निर्माण, जीवन विज्ञान ( बायो-टेक्नोलॉजी), एग्रो और फूड प्रोसेसिंग और सूचना प्रौद्यौगिकी पर ध्यान केन्द्रित करते हुए मुकाबले बाज़ी बढ़ाने के लिए हरेक साल 10 कलस्टरों का गहराई से अध्ययन करने, हर साल पांच कलस्टरों में कॉमन फैसिलिटी सैंटरों की स्थापना और अपग्रेड करने, राज्य में 10 प्रौद्यौगिकी केन्द्रों की स्थापना और अपग्रेड करने, पांच सालों में 1000 स्टार्ट-अप्स की सुविधा के अलावा राज्य में 10 इनक्यूबेशन सैंटरों/ऐक्सीलेटरों की स्थापना की सुविधा पर भी विचार किया गया है. उन्होंने कहा कि यह सभी प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं के साथ मज़बूत सम्बन्ध बनाने, कॉलेजों में 50 उद्यम विकास केंद्र स्थापित करने, राज्य में एक कौशल यूनिवर्सिटी स्थापित करने, हरेक चिन्हित किए गए औद्योगिक कलस्टर के लिए एक कौशल केंद्र स्थापित करने और पांच पहचान किये गए सैक्टरों के लिए अत्याधुनिक निर्माण, डिज़ाइन और आई.टी. कौशलों एवं एडवांस स्किल सैंटर में स्थापित करने में भी मदद करेगा.

निवेशकों को सरकार उपलब्ध कराएगी सुविधा

भगवंत मान ने कहा कि निवेशकों की सुविधा के लिए प्रस्तावित नीति में इनवैस्ट पंजाब बिजऩेस फर्स्ट पोर्टल को उद्योगों और कारोबार के लिए उनकी समय-सीमा के दौरान सभी रेगुलेटरी और वित्तीय सेवाओं के लिए सिंगल यूनिफाईड इंटरफेस और नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम के साथ इंटीग्रेशन, उद्योग, बिजली, प्रदूषण कंट्रोल, श्रम, आवास निर्माण एवं शहरी विकास, स्थानीय सरकार और कर जैसे सात मुख्य विभागों की प्रक्रियाओं को पहल के आधार पर री-इंजीनियर करने का भी प्रस्ताव है, जिससे इनको और ज्यादा सरल, उद्योग अनुकूल और पूरी तरह डिजिटल बनाने के साथ-साथ प्रोसेसिंग के सभी स्तरों पर अलग-अलग रेगुलेटरी सेवाओं के दस्तावेज़ों/ चैकलिस्टों को तर्कसंगत बनाया जा सके.

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वित्तीय और ग़ैर-वित्तीय रियायतों की व्यवस्था

मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) ने यह भी कहा कि प्रस्तावित नीति में मौजूदा इकाईयों का पुनर्गठन करने और मिशन एवं उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संवैधानिक शक्तियों के द्वारा उनको समर्थ करने, नीति के अलग-अलग पहलुओं को लागू करने में सहायता के लिए नीति लागूकरण यूनिट स्थापित और निगरानी करने, विशेष प्रोजेक्टों, संस्थाओं और अन्य पहलकदमियों के लिए कौशल प्राप्ति के लिए प्रभावशाली प्रणाली स्थापित करना और अलग-अलग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ हिस्सेदारी के लिए प्रभावशाली विधि स्थापित करना और बुनियादी ढांचे, प्रौद्यौगिकी सहायता, कौशल और उद्योग की अन्य ज़रूरतों के लिए प्रभावशाली पीपीपी मॉडल विकसित करना भी शामिल है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नीति तैयार करते समय राज्य और जि़ला स्तर पर प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ सलाह-मशविरा किया गया था. भगवंत मान ने कहा कि प्रस्तावित नीति में सभी श्रेणियों की इकाईयां जैसे कि एम.एस.एम.ई., बड़े उद्योग, सरहदी जिले, बॉर्डर ज़ोन, प्राईवेट औद्योगिक पार्कों, जरूरतमंद सैक्टरों और इकाईयां जैसी नई और मौजूदा इकाईयों के लिए वित्तीय और ग़ैर-वित्तीय रियायतों की व्यवस्था है. 

सरकार ने मांगे सुझाव

मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) ने कहा कि नीति में कारोबार के लिए साजग़ार माहौल की मज़बूती के लिए बुनियादी ढांचा, बिजली, कौशल, स्टार्टअप, एम.एस.एम.ई., कारोबार करने की सुविधा, वित्तीय/गैर-वित्तीय रियायतों, निर्यात प्रोत्साहन, लॉजिस्टिक, शिकायत निवारण करने और हितधारकों के साथ सलाह-मशविरे समेत 10 प्रमुख क्षेत्र हैं, जिससे उद्योग को कुशल और पारदर्शी तरीके से सुविधा प्रदान की जा सके. इस दौरान प्रमुख सचिव उद्योग एवं वाणिज्य दिलीप कुमार ने बताया कि 'औद्योगिक और व्यापारिक विकास नीति- 2022' को उद्योग जगत के नेताओं के सुझावों को ध्यान में रखकर अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि क्योंकि नई नीति 17 अक्तूबर, 2022 तक नोटिफाई की जानी है, इसलिए उद्योगपति 15 दिनों के अंदर-अंदर अपने सुझाव भेज दें.