पंजाब में कैप्टन अमरिंदर को CM पद से हटाने के कदम से 7 विधायकों का इनकार: CMO

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कथित 'बदलने' की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कथित 'बदलने' की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है

author-image
Mohit Sharma
एडिट
New Update
Untitled

Capt Amarinder( Photo Credit : ANI)

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कथित 'बदलने' की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय से बड़ा बयान आया है. सीएमओ की ओर से बताया गया कि पंजाब के सात विधायकों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाने के कथित कदम का हिस्सा होने से इनकार किया है. बयान में कहा गया कि उन्होंने इस तरह के किसी भी निर्णय से खुद को यह कहते हुए अलग कर लिया कि "उक्त बैठक में भी बात नहीं हुई. 

Advertisment

यह भी पढ़ें : श्रीलंका के विपक्ष ने तालिबान को स्वीकार करने की सरकार के फैसले की आलोचना की

आपको बता दें कि पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह को विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले 'बदलने' की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है और कांग्रेस के 34 'नाराज' विधायकों, जिनमें चार कैबिनेट मंत्री शामिल हैं, ने मंगलवार को हाई कमांन से अपने फैसले से अवगत कराने का फैसला किया है. नाराज विधायक स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि पार्टी के लिए चुनाव से पहले गार्ड बदलने का विकल्प चुनने का समय आ गया है. तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने यहां मीडिया से कहा, "मुख्यमंत्री बदलना पार्टी आलाकमान का विशेषाधिकार है. लेकिन हमारा उन पर से विश्वास उठ गया है." उन्होंने कहा कि विधायकों ने सरकार द्वारा चुनावी वादों को पूरा नहीं करने पर पार्टी कार्यकर्ताओं की असहमति के बारे में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को जल्द से जल्द अवगत कराने के लिए सर्वसम्मति से पांच सदस्यीय समिति को अधिकृत किया. पांच सदस्यीय समिति में कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा हैं, जिन्होंने हाल के सत्ता संघर्ष में राज्य इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू का समर्थन किया. तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया, चन्नी और परगट सिंह को सिद्धू का करीबी माना जाता है। चन्नी ने अधूरे चुनावी वादों, विशेषकर 2015 की बेअदबी और पुलिस फायरिंग के मामलों में कार्रवाई में देरी को लेकर मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों की आलोचना की.

उन्होंने कहा कि पैनल कांग्रेस आलाकमान से विधायकों और मंत्रियों की शिकायतें सुनने के लिए समय मांगेगा, अन्यथा पार्टी के लिए पंजाब में फिर से आना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा कि विधायकों ने रेत, ड्रग, केबल और परिवहन माफियाओं के अस्तित्व सहित कई मुद्दों को उठाया है. इसके अलावा, बेअदबी और उसके बाद पुलिस फायरिंग के मामलों ने न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को नाराज किया है, बल्कि आम आदमी की धार्मिक भावनाओं को भी आहत किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ड्रग डीलरों के खिलाफ वादा की गई कार्रवाई को पूरा करने में भी विफल रही है.

यह भी पढ़ें : ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान में बचाव अभियान में जुटी भारतीय वायुसेना

रंधावा ने कहा कि उनके पास सबसे अच्छे पोर्टफोलियो हैं. लेकिन हम विभागों को खोने से परेशान नहीं हैं. हमारी चिंता यह है कि बरगारी में न्याय और दोषपूर्ण बिजली खरीद समझौतों को खत्म करने जैसे चुनावी वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं. दिलचस्प बात यह है कि अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू के बीच बढ़ते 'वाकयुद्ध' को लेकर राज्य मामलों के प्रभारी हरीश रावत के चंडीगढ़ दौरे से ठीक एक दिन पहले पार्टी के भीतर कलह सामने आई.  और कांग्रेस के 34 'नाराज' विधायकों, जिनमें चार कैबिनेट मंत्री शामिल हैं, ने मंगलवार को हाई कमांन से अपने फैसले से अवगत कराने का फैसला किया है. नाराज विधायक स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि पार्टी के लिए चुनाव से पहले गार्ड बदलने का विकल्प चुनने का समय आ गया है.

Source : News Nation Bureau

Chief Minister Capt Amarinder CM Capt Amarinder Punjab Congress news Dispute in Punjab Congress CM Capt Amarinder Singh capt-amarinder-singh-vs-navjot-singh-sidhu Capt Amarinder Singh Punjab Congress Crisis
Advertisment