'धरती के भगवान' गए हड़ताल पर, पंजाब में इलाज न मिलने से 34 मरीजों की मौत
सामान्य दिनों में ओपीडी में 8-10 मरीजों का इलाज रोज होता है लेकिन शनिवार को एक भी नए मरीज का इलाज नहीं हुआ. हालांकि अस्पताल की तरफ से दावा किया जा रहा है कि शनिवार को भी कई मरीजों का इलाज हुआ है
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (NMC) बिल, 2019 के विरोध में डॉक्टरों की हड़ताल के बीच अब मरीजों के मौत के मामले भी सामने आने लगे हैं. शनिवार शाम तक पंजाब के चंडीगढ़ में स्थित PGI आईसीयू अस्पताल में एक-दो नहीं बल्कि 34 लोगों के मौत के मामले सामने आए हैं. जानाकरी के मुताबिक इसमें से 5 एक्सीडेंटल और 29 बीमारियों से ग्रस्त मरीज थे. खबरों की मानें तो इस अस्पताल में औसतन मौतों का आंकड़ा 10 से 12 रहता है लेकिन शनिवार को यहां 34 लोगों की मौत हो गई. कारण रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को बताया जा रहा है. दरअसल PGI के ट्रॉमा, इमरजेंसी जैसी यूनिट में मरीजों की देखरेख सीनियर रेजीडेंट के डॉक्टर ही करते हैं लेकिन हड़ताल की वजह से इन मरीजों की देखरेख नहीं हो पाई जिसकी वजह से मौतों का आंकड़ा एक दम बढ़ गया.
वहीं दूसरी तरफ हड़ताल की वजह से ओपीडी की सेवा भी ठप रही. सामान्य दिनों में ओपीडी में 8-10 मरीजों का इलाज रोज होता है लेकिन शनिवार को एक भी नए मरीज का इलाज नहीं हुआ. हालांकि अस्पताल की तरफ से दावा किया जा रहा है कि शनिवार को भी कई मरीजों का इलाज हुआ है.
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क्या है NMC Bill 2019
National Medical Commission Bill 2019 (NMC) के कानून बनने से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की मनचाही फीस वसूलने पर रोक लग जाएगी. दरअसल कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जो मैनेजमेंट कोटे की सीटों को एक-एक करोड़ रुपये में अयोग्य छात्रों को बेच देते थे. ये कॉलेज साढ़े चार वर्षीय एमबीबीएस के लिए हर साल करीब 15 से 25 लाख रुपये तक सालाना की फीस वसूलते हैं. लेकिन बिल के पास होने के बाद कॉलेजों की इस मनमानी पर काफी हद तक रोक लग जाएगी.
60 हजार सीटों पर सरकार तय करेगी फीस
दरअसल इस बिल के पास होने के बाद अब प्राइवेट कॉलेजों की 20 हजार सीटों पर फीस सरकार तय करेगी. फिलहाल देश में मेडिकल की 80 हजार सीटे हैं. इनमे आधी यानी 40 हजार सीटे सरकार के पास है और बाकी 40 हजार सीटे प्राइवेट कॉलेजों के पास हैं. ऐसे में अगल ये बिल पास हो गया तो प्राइवेट कॉलेजो की 40 हजार सीटों की 50 फीसदी सीटों पर भी सरकार फीस तय कर सकेगी. इस तरह सरकार 60 हजार सीटों पर फीस तय कर सकेगी.
इसके अलावा मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक टेस्ट लिया जाएगा जिसको पास करने के बाद ही डॉक्टर्स अपनी प्रैक्टिस कर पाएंगे. इस टेस्ट का नाम नेक्स्ट है. यानी इस टेस्ट को पास करने के बाद ही डॉक्टरों को मेडिकल की प्रैक्टिस की करने का लाइसेंस मिलेगा. इसी परीक्षा के आधार पर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए दाखिला होगा। अगले तीन वर्षों में एग्जिट परीक्षा लागू कर दी जाएगी. हड़ताल कर रहे डॉक्टरों कोबिल के इन्हीं प्रावधानों से ऐतराज है.
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बिहार में भी हो चुका है विरोध
इससे पहले इस बिल के विरोध में बिहार के डॉक्टर्स भी मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल पर गए थे. डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने के कारण पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) सहित राज्य के करीब सभी अस्पतालों में मरीजों को काफी परेशानी का समाना करना पड़ा. हड़ताल की जानकारी नहीं होने के कारण दूर-दूर से मरीज अस्पताल पहुंच गए परंतु इलाज नहीं होने के कारण ऐसे लोगों को वापस लौटना पड़ा.
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