भगवंत मान पर विपक्ष का आरोप, रिमोट कंट्रोल से चल रही पंजाब की सरकार
भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल की बैठक हुई. इस बैठक में पंजाब बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के शामिल होने की खबर के बाद ही सीएम मान पर विपक्ष आरोपों की झड़ी लगा दी है.
नई दिल्ली:
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान औऱ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बैठक का मामला पंजाब से लेकर दिल्ली तक गरमा गया है. भाजपा और कांग्रेस के नेता मान सरकार पर आक्रामक बयानबाजी कर रहे हैं औऱ पंजाब सरकार को रिमोट कंट्रोल से चलाने का आरोप लगा रहे है. दरअसल, पंजाब सरकार राज्य में 300 यूनिट मुफ्त बिजली हर घर को देने की बात कह रही है. इसी सिलसिले में भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल की बैठक हुई. इस बैठक में पंजाब बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के शामिल होने की खबर के बाद ही सीएम मान पर विपक्ष आरोपों की झड़ी लगा दी है.
पंजाब सरकार बिजली पंजाब में 300 यूनिट मुफ्त बिजली हर घर को देने का प्लान तैयार हो गया, जल्द इसकी घोषणा होगी. इसी पर आज पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बैठक हुई. 300 यूनिट मुफ़्त बिजली हर घर को देने का वादा था, यही ‘केजरीवाल की पहली गारंटी’थी.
पंजाब में विपक्षी दलों ने इन खबरों को लेकर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) की आलोचना की है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पंजाब के वरिष्ठ अधिकारियों को बैठक के लिए राष्ट्रीय राजधानी बुलाया था. कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया कि राज्य के लोगों ने ऐसी सरकार के लिए वोट नहीं दिया था, जिसे दिल्ली से ‘रिमोट कंट्रोल’ के जरिए चलाया जाए, जबकि शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने ‘केजरीवाल की बैठक’ को ‘असंवैधानिक और अस्वीकार्य’ करार दिया.
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असल में, इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे, जो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पहुंचे थे, माना जा रहा है कि उनके पंजाब में 300 यूनिट मुफ्त बिजली के कार्यान्वयन पर चर्चा की है, इसी बैठक में बिजली विभाग से जुड़े अधिकारी भी मौजूद रहे.
विपक्षी पार्टी के नेता उन खबरों का हवाला दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि केजरीवाल ने बिजली से संबंधित मुद्दे को लेकर सोमवार को दिल्ली में पंजाब के मुख्य सचिव, ऊर्जा सचिव और राज्य बिजली उपयोगिता के अध्यक्ष के साथ बैठक की और इस बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान मौजूद नहीं थे. बैठक के बारे में पूछे जाने पर पंजाब के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने मंगलवार को कहा कि केजरीवाल पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं और अगर उन्होंने बैठक की भी है तो यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है.
पंजाब में आप के प्रवक्ता मलविंदर कांग ने कहा, ‘केजरीवाल के शासन के मॉडल को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। अगर उन्होंने अनौपचारिक बैठक की है जो पंजाब के लोगों के फायदे के लिए है, तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए.” बैठक को लेकर कांग्रेस विधायक प्रताप बाजवा ने मुख्यमंत्री मान से सवाल किया.
बाजवा ने ट्वीट किया, “पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जी हमें बताएं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्री वास्तव में पंजाब के मुख्यमंत्री और मंत्रियों की अनुपस्थिति में हमारे अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. अगर हां, तो यह एक राज्य के रूप में हमारे अधिकारों का घोर उल्लंघन है. पंजाब के लोगों ने दिल्ली से रिमोट कंट्रोल से चलने वाली सरकार के लिए वोट नहीं दिया था.”
अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, “सबसे बुरे का डर था, सबसे बुरा हुआ. उम्मीद से बहुत पहले ही अरविंद केजरीवाल ने पंजाब पर कब्जा कर लिया. भगवंत मान रबर स्टैंप हैं, यह पहले से ही एक निष्कर्ष था, अब केजरीवाल ने दिल्ली में पंजाब के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करके इसे सही साबित कर दिया है.”
आप पर निशाना साधते हुए पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने पूछा कि क्या राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को केजरीवाल के ‘दरबार’ में मौजूद रहना होगा. बैठक का जिक्र करते हुए, कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि यह ‘संघवाद का उल्लंघन है.’ सिद्धू ने ट्वीट किया, “पंजाब के आईएएस अधिकारियों को अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की अनुपस्थिति में बुलाया. यह असल मुख्यमंत्री और दिल्ली के रिमोट कंट्रोल को उजागर करता है. संघवाद का स्पष्ट उल्लंघन, पंजाबी गौरव का अपमान। दोनों को स्पष्ट करना चाहिए.”
शिअद प्रमुख सुखबीर बादल ने अपने ट्वीट में इसे ‘असंवैधानिक और अस्वीकार्य’ करार दिया और अपनी पार्टी के नेता दलजीत सिंह चीमा के ट्वीट को टैग किया, जिन्होंने दिल्ली में आप के नेतृत्व वाली सरकार पर पंजाब के मामले में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है.
चीमा ने कहा, “हमने दिल्ली के बारे में बहुत कुछ सुना है कि केंद्र सरकार राज्यों के आंतरिक मामलों में दखल दे रही है. लेकिन, यह पहली बार है कि हम देख रहे हैं कि दिल्ली की राज्य सरकार पंजाब सरकार के आंतरिक मामलों में सीधे तौर पर दखल दे रही है.”
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