पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने 1988 रोड रेज मामले में उन्हें राज्य सरकरार द्वारा दोषी बताए जाने पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है।
वहीं अदालत के फ़ैसले को लेकर उन्होंने कहा, 'मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना है क्योंकि न्याय सर्वोपरि है और मुझे देश के सर्वोच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है।'
बता दें कि गुरुवार को पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपने ही कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में तीन साल की सजा बरकरार रखने का समर्थन किया था।
पंजाब सरकार के रवैये को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मैं सरकार से खफा हूं नाराज हूं या गुस्से में हूं वो जो कुछ है मेरे अंदर है। उसका बोझ मेरे कंधों पर ही रहेगा और मुझे इस से ज्यादा कुछ नहीं बोलना।
वहीं आम आदमी पार्टी और अकाली दल की तरफ से इस्तीफा मांगने के सवाल पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि विपक्ष की हालत बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी हो गई है।
गौरतलब है कि 1988 में पटियाला में गुरनाम सिंह नाम के व्यक्ति के साथ सिद्धू का झगड़ा हो गया था। परिवार का कहना है कि इस झगड़े में सिद्धू ने गुरनाम को मुक्का मारा, जिससे उनकी मौत हो गई।
पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू के एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए अर्जी दाखिल की। अर्जी में पीड़ित परिवार ने कहा कि निचली अदालत और पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की सज़ा दी थी लेकिन अदालत को इसे बढ़ाना चाहिए।
इस इंटरव्यू में कथित तौर पर सिद्धू ने माना है कि उन्होंने गुरनाम की पिटाई की थी, जिससे उसकी मौत हो गई। जिसके बाद सिद्धू ने इस अर्जी का विरोध किया।
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Source : News Nation Bureau