मलेरकोटला : जानिए क्या है विवाद जिसने अमरिंदर और योगी आदित्यनाथ में बढ़ा दी तल्खी
संगरूर ज़िला मुख्यालय से मलेरकोटला की दूरी 35 किलोमीटर है. कांग्रेस ने चुनाव के दौरान इस शहर को ज़िला बनाने की वादा किया था.
चंडीगढ़:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कल यानि की 14 मई को ईद के मौक़े पर मलेरकोटला शहर को नया ज़िला बनाने की घोषणा की थी. बता दें कि मलेरकोटला पंजाब का एक मुस्लिम बहुल शहर है. पंजाब के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा था, "ईद के शुभ मौक़े पर मुझे यह साझा करते हुए ख़ुशी हो रही है कि मेरी सरकार ने मलेरकोटला को नया ज़िला बनाने का फ़ैसला किया है. यह पंजाब का 23वां ज़िला होगा, जिसका ऐतिहासिक महत्व है. मैंने आदेश दिया है कि तत्काल किसी ऐसी जगह की तलाश की जाए, जहाँ ज़िला प्रशासन का दफ़्तर बनाया जा सके."
संगरूर ज़िला मुख्यालय से मलेरकोटला की दूरी 35 किलोमीटर है. कांग्रेस ने चुनाव के दौरान इस शहर को ज़िला बनाने की वादा किया था. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मलेरकोटला में 500 करोड़ के एक मेडिकल कॉलेज, एक महिला कॉलेज, एक नया बस स्टैंड और महिला पुलिस स्टेशन बनाने की घोषणा की है. सिंह ने कहा कि मलेरकोटला शहर, अमरगढ़ और अहमदगढ़ भी मलेरकोटला की सीमा में आएंगे. उन्होंने कहा कि देश की आजादी के वक्त पंजाब में 13 जिले थे. वर्ष 1947 में बंटवारे के दौरान मलेरकोटला में काफी हद तक शांति रही, जबकि भारत-पाकिस्तान सीमा पर सांप्रदायिक संघर्ष और बड़े पैमाने पर पलायन हुआ.
अमरिंदर सिंह की इस घोषणा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी आपत्ति जताई थी. योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा कि मत और मजहब के आधार पर किसी प्रकार का विभेद भारत के संविधान की मूल भावना के विपरीत है। इस समय, मलेरकोटला (पंजाब) का गठन किया जाना कांग्रेस की विभाजनकारी नीति का परिचायक है. इस पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आदित्यनाथ को अपने राज्य के मामलों से दूर रहने के लिए कहा, जो उन्होंने भाजपा सरकार के तहत उत्तर प्रदेश की तुलना में काफी बेहतर स्थिति में होने का दावा किया, जो पिछले चार वर्षों से राज्य में सांप्रदायिक कलह को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है.
वह (आदित्यनाथ) पंजाब के लोकाचार या मलेरकोटला के इतिहास के बारे में क्या जानते हैं, जिसका सिख धर्म और उनके गुरुओं के साथ संबंध हर पंजाबी को पता है और वह भारतीय संविधान के बारे में क्या समझते हैं, जिसे हर दिन बेशर्मी से कुचला जा रहा है. उनकी टिप्पणी का मजाक उड़ाते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा कि आदित्यनाथ सरकार और भाजपा के सांप्रदायिक नफरत फैलाने के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, इस तरह की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित होने के अलावा पूरी तरह से हास्यास्पद है
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