logo-image

चन्नी बताएं, नौकरी पक्की करने के लिए और कितने कच्चे अध्यापकों की जान लेंगे? - हरपाल चीमा

आप के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा, चन्नी सरकार में मोदी सरकार की आत्मा घुस गई है। जिस तरह मोदी सरकार ने किसान आंदोलन में शामिल 750 से ज्यादा किसानों की जान लेने के बाद अपना अहंकार छोड़ा था और काले कृषि कानून वापस लिये थे

Updated on: 20 Dec 2021, 11:38 PM

नई दिल्ली:

पिछले एक महीने से मोरिंडा में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की कोठी के पास धरने पर बैठे एक कच्चे अध्यापक गुरप्रीत सिंह(40) की मौत पर आम आदमी पार्टी ने गहरा दुख जताया है। पार्टी ने उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और मौत के लिए कांग्रेस की चन्नी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। सोमवार को पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में आप के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा, चन्नी सरकार में मोदी सरकार की आत्मा घुस गई है। जिस तरह मोदी सरकार ने किसान आंदोलन में शामिल 750 से ज्यादा किसानों की जान लेने के बाद अपना अहंकार छोड़ा था और काले कृषि कानून वापस लिये थे। उसी तरह का बर्ताव चन्नी सरकार पंजाब के शिक्षकों के साथ कर रही है। अब मुख्यमंत्री चन्नी बताएं कि और कितने शिक्षकों की जान लेने के बाद उनकी नौकरी पक्की करेंगे?

चीमा ने कहा पिछले 15-20 सालों से पंजाब के पढ़े लिखे नौजवान रोजगार के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और लगातार सरकारी जुल्म झेल रहे हैं। इंतजार करते-करते लाखों नौजवानों की नौकरी की उम्र खत्म हो गई। लाखों नौजवानों का भविष्य खराब हो गया। बे उम्मीद होकर लाखों नौजवान विदेश जाने को मजबूर हो रहे हैं। निराश होकर हजारों युवा नशे की दलदल में फंस गए हैं और कईयों ने निराश होकर आत्महत्या तक कर ली। लेकिन न तो कभी बादल-भाजपा सरकार और न पिछली कैप्टन के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने उन बेरोजगार नौजवानों पर ध्यान देने की कोशिश की। अब चन्नी सरकार भी पिछली सरकारों के रास्ते पर चल रही है। उन्होंने कहा, यह वही कांग्रेस है जिसने घर-घर रोजगार का वादा कर 2017 में सत्ता हासिल की थी, अब वही कांग्रेस बेरोजगार नौजवानों का उत्पीड़न कर रही है।

संधवां ने मुख्यमंत्री चन्नी की आलोचना करते हुए कहा कि आम आदमी का नाटक करने वाले चन्नी के दामन पर यह दूसरा दाग है। पहले मोहाली में धरना करते हुए एक ईटीटी शिक्षक की जान गई और अब उनके घर के पास धरना करते हुए यह नौजवान शिक्षक गुरप्रीत सिंह की जान चली गई। चीमा ने कहा, यह सामान मौतें नहीं है बल्कि सरकारी सिस्टम द्वारा की गई हत्या हैं क्योंकि ये सभी शिक्षक लोकतांत्रिक तरीके से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन पंजाब सरकार उनकी आवाज सुनने को भी तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री चन्नी बताएं कि इन प्रदर्शनकारी शिक्षकों की गलती क्या है? प्रदर्शनकारी शिक्षकों की मांग का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, जितने भी प्रदर्शनकारी शिक्षकों की जान गई है पंजाब सरकार उन्हें उचित मुआवजा दें और उनके घर के एक सदस्य को नौकरी दें। आगे किसी शिक्षक की जान न जाए इसके लिए चन्नी सरकार शिक्षकों की सभी मांगें तुरंत माने और उनकी नौकरी पक्की करे।