प्रकाश सिंह बादल ने कृषि कानूनों के विरोध में पद्म पुरस्कार लौटाया
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण पुरस्कार लौटा दिया है.
चंडीगढ़:
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन अब बड़ा रूप लेता जा रहा है. देशभर के सामाजिक और राजनीतिक संगठन किसानों के साथ खड़े हो गए हैं. देश के वरिष्ठ राजनेता और फिल्मी हस्तियां भी किसानों के समर्थन में आ गई हैं. इतना ही नहीं, पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड सम्मानित लोगों समेत कई पूर्व खिलाड़ी किसानों के समर्थन में अपना पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर चुके हैं. इसी कड़ी में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण पुरस्कार लौटा दिया है.
Former Punjab CM Parkash Singh Badal returns Padma Vibhushan to protest "the betrayal of the farmers by govt of India" pic.twitter.com/mzdsoAZSlC
— ANI (@ANI) December 3, 2020
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प्रकाश सिंह बादल ने कहा, 'मैं जो हूं, वो जनता के कारण हूं, खासतौर पर आम किसान के कारण. आज जब उसने अपने सम्मान से ज्यादा खोया है तो ऐसे में मुझे पद्म विभूषण पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नहीं समझ आता.' पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान जीने के अपने मूलभूत अधिकार की रक्षा के लिए कड़ाके की ठंड में कड़ा संघर्ष कर रहे हैं.
वहीं शिरोमणि अकाली दल ने एक बयान में कहा, 'प्रकाश बादल ने भारत सरकार द्वारा किसानों के साथ की गई धोखाधड़ी, बेरूखी और कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के चल रहे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक आंदोलन पर सरकार के रुख के विरोध में पद्म विभूषण लौटा दिया है.'
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इससे पहले पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड सम्मानित लोगों समेत कई पूर्व खिलाड़ियों ने घोषणा की है कि कृषि कानूनों के खिलाफ अपना पुरस्कार लौटाएंगे. इन खिलाड़ियों में पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड विजेता पहलवान करतार सिंह, अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित बास्केटबॉल खिलाड़ी सज्जन सिंह चीमा और अर्जुन अवॉर्ड से ही सम्मानित हॉकी खिलाड़ी राजबीर कौर शामिल हैं. इन खिलाड़ियों ने कहा कि 5 दिसंबर को वे दिल्ली जाएंगे और राष्ट्रपति भवन के बाहर अपने पुरस्कार रखेंगे.
उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर गत 8 दिन से केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनको आशंका है कि इन कानूनों की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली खत्म हो जाएगी और वे उद्योगपतियों के रहम पर रहने को मजबूर हो जाएंगी. हालांकि इसका समाधान करने के लिए केंद्र सरकार भी किसानों से लगातार बातचीत कर रही है.
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