logo-image

कांग्रेस चाहती है पंजाब में सिद्धू को उचित महत्व मिले

कांग्रेस ने सिद्धू को फिलहाल उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतों के लिए चुना है, मगर पार्टी चाहती है कि सिद्धू को पंजाब में उचित महत्व दिया जाए. जबकि सूत्रों का कहना है कि सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना है.

Updated on: 16 Feb 2021, 07:31 PM

highlights

  • कांग्रेस ने सिद्धू को उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतों के लिए चुना है.
  • सिद्धू को राज्य में फिर से मंत्री बनाए जाने की भी संभावना है.
  • सिद्धू स्थानीय निकायों के प्रभारी थे, फिर उन्हें बिजली विभाग दे दिया गया था.

नई दिल्ली :

कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब में उचित महत्व मिले और इसके लिए पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बीच विचार-विमर्श जारी है. दिल्ली में पार्टी की अंतरिम प्रमुख सोनिया गांधी से सिद्धू की मुलाकात के बाद रावत ने मुख्यमंत्री अमरिंदर से मुलाकात कर उन्हें कांग्रेस नेतृत्व का फैसला सुनाया और पूर्व मंत्री सिद्धू को राज्य में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की बात कही. रावत ने हल्द्वानी से फोन पर बात करते हुए बताया कि सिद्धू पार्टी के बहुत महत्वपूर्ण नेता हैं और उन्हें जल्द ही राज्य में समायोजित किया जाएगा और उनकी मौजूदगी पार्टी को मजबूत करेगी.

कांग्रेस ने सिद्धू को फिलहाल उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतों के लिए चुना है, मगर पार्टी चाहती है कि सिद्धू को पंजाब में उचित महत्व दिया जाए. जबकि सूत्रों का कहना है कि सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना है, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धू को यह पद देने के लिए राजी नहीं हैं. हालांकि रावत ने कहा, "दोनों नेता साथ बैठेंगे, बातचीत करेंगे, मतभेदों को सुलझाएंगे और एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेंगे. दोनों की मुलाकात व बैठकों की व्यवस्था करने का मेरा काम पूरा हो गया है."

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सिद्धू को राज्य में फिर से मंत्री बनाए जाने की भी संभावना है. पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है और किसान कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के कारण सिद्धू की 'सौदेबाजी की शक्ति' घट गई है. वहीं, पार्टी देशभर में उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें खोना नहीं चाहती. वह पार्टी के स्टार प्रचारक भी हैं.

विभाग आवंटन से असंतुष्ट सिद्धू ने मुख्यमंत्री अमरिंदर से मतभेद के बाद 14 जुलाई, 2019 को राज्य के कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. सिद्धू स्थानीय निकायों के प्रभारी थे, फिर उन्हें बिजली विभाग दे दिया गया था. सूत्रों कहना है कि दोनों नेताओं के बीच तनाव तब बढ़ा, जब सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को लोकसभा चुनाव में पार्टी के टिकट से वंचित कर दिया गया.

अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने के बाद कांग्रेस ने साल 2017 में 117 सदस्यीय विधानसभा में 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी, दो-तिहाई बहुमत के लिए आवश्यक 78 में से केवल एक ही विधायक की कमी थी, जो एक निर्दलीय को शामिल कर पूरी की गई.